* मंत्रिमंडल की बैठक में त्रिसदस्यीय समिती की रिपोर्ट को दी मान्यता
* त्रिसदस्यीय समिती ने विलीनीकरण संभव नहीं रहने की बात कही थी
मुंबई/दि.23– राज्य परिवहन निगम को सरकारी सेवा में शामिल किये जाने की मांग को लेकर विगत साढे चार माह से हडताल कर रहे और मुंबई के आजाद मैदान में ठिय्या लगाकर बैठे राज्य के हजारों एसटी कर्मचारियों के हिस्से में अंतत: निराशा ही आयी है. राज्य सरकार द्वारा गठित त्रिसदस्यीय समिती ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, एसटी महामंडल का सरकारी सेवा में विलीनीकरण करना संभव नहीं है और इस रिपोर्ट को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूर कर लिया गया है. ऐसे में साफ है कि, राज्य परिवहन निगम का सरकार द्वारा सरकारी सेवा में विलीनीकरण नहीं किया जानेवाला है. वहीं दूसरी ओर विगत साढे चार माह से हडताल कर रहे एसटी कर्मचारी विलीनीकरण की मांग पूर्ण होने तक हडताल करने पर अब भी अडे हुए है.
बता दें कि, विगत नवंबर माह से शुरू हुई एसटी कर्मियों की हडताल को खत्म करने हेतु अब तक एसटी कर्मियों के प्रतिनिधियों व सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है. इस दौरान सरकार ने रापनि कर्मियों की मुख्य मांग को छोडकर अन्य कई मांगों को स्वीकार कर लिया है. किंतु सभी कर्मचारी विलीनीकरण की मांग पर अडे हुए है. इस मसले को लेकर न्यायालयीन लडाई भी चली रही है और सरकार द्वारा हाईकोर्ट के निर्देश पर पूरे मामले का अध्ययन करने हेतु त्रिसदस्यीय समिती गठित की गई थी. इस समिती की ओर से मंत्रिमंडल की बैठक में पेश की गई रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि, एसटी महामंडल का सरकारी सेवा में विलीनीकरण करना संभव नहीं. वहीं अब यह भी पता चला है कि, राज्य मंत्रिमंडल ने इस रिपोर्ट को जस का तस स्वीकार करते हुए इसे अपनी मान्यता दे दी है. जिसके चलते विगत साढे चार माह से विलीनीकरण की मांग को लेकर हडताल कर रहे कर्मचारियों के हाथ निराशा ही लगी है. ऐसे में अब हडताली कर्मचारियों द्वारा क्या भूमिका अपनायी जाती है, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.
वहीं दूसरी ओर विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर ने मंत्रिमंडल के फैसले को दुर्भाग्यजनक बताते हुए कहा कि, सरकार ने रापनि कर्मियों के सब्र का इम्तेहान नहीं लेना चाहिए और किसी भी स्थिति में जल्द से जल्द रापनि कर्मियों की हडताल को खत्म करवाते हुए रापनि कर्मी को न्याय देना चाहिए. अन्यथा हालात बिगड भी सकते है.