मुंबई/दि.6- एमबीए सीईटी में असमंजस की स्थिति को लेकर कुछ छात्रों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हालाँकि, वर्तमान में एमबीए डिग्री स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए पंजीकरण प्रक्रिया चल रही है और कैप राउंड 7 जुलाई से शुरू होगा. हालाँकि, चूंकि याचिकाओं पर सुनवाई लंबित है, इसलिए हाई कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि यह सभी प्रवेश प्रक्रिया याचिकाओं पर अंतिम फैसले के अधीन होगी. पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति गौतम पटेल एवं न्यायमूर्ति नीला गोखले की अध्यक्षता वाली पीठ ने छात्र की याचिका पर राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. सोमवार की सुनवाई में सीईटी सेल की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया. छात्रों ने याचिका दायर करने में देरी की. इसका असर प्रदेशभर के करीब डेढ़ लाख विद्यार्थियों पर पड़ेगा. याचिकाकर्ताओं की तरफ से एड. सतीश तालेकर ने इस मामले से इनकार किया और उच्च न्यायालय को बताया कि छात्र वास्तव में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने से पहले अदालत में आए हैं. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और कहा कि, एमबीए की प्रवेश प्रक्रिया याचिकाओं के अंतिम नतीजे के अधीन होगी. कोर्ट ने 10 जुलाई को याचिका पर सुनवाई करते हुए सीकरी सेल को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था.
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* मामला क्या है?
पूर्णकालिक स्नातकोत्तर प्रबंधन पाठ्यक्रम के पहले वर्ष के लिए सीईटी मार्च में आयोजित किया गया था. चार स्लॉट में परीक्षा में गड़बड़ी हुई, दूसरे स्लॉट में कुछ छात्रों को कंप्यूटर नहीं मिले. इसलिए जब तक उनके लिए पांचवां स्लॉट बनाया गया, तब तक दूसरे स्लॉट के छात्रों ने पेपर क्रैक कर लिया, जबकि कुछ को पेपर हल करने के लिए 30 मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया. इसलिए, छात्रों ने इस सीईटी को आयोजित करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.