मुंबई/दि. 7– मौसम बदलाव के कारण निर्माण हुई चिंताजनक स्थिति का देश को बडा नुकसान हुआ है. 2011-2020 के दशक में अतिवृष्टि, अतिउष्णता का अनुभव मिला, ऐसा निरीक्षा डब्ल्यूएमओ संगठना व्दारा घोषित की गई रिपोर्ट में दर्ज हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र के मौसम संबंधित परिषद में मंगवाल को यह रिपोर्ट घोषित की गई. मौसम के दशकभर की स्थिति 2011-2020 की रिपोर्ट में और अनेक बातों पर प्रकाश डाला गया है. साथ ही गत सप्ताह में मौसम बदलाव परिषद में वर्ष 2023 की सत्र वार्षिक रिपोर्ट घोषित हुई. इसके मुताबिक 2023 यह वर्ष सर्वाधिक उष्णता का रहने का अनुमान इस रिपोर्ट में व्यक्त किया गया है. इस दशक में मौसम का बदलाव चिंताजनक है. यह दशक सर्वाधिक उष्णता का रहा. वायव्य भारत, पाकिस्तान, चीन और अरबी द्बीप कल्प के दक्षिणी किनारपट्टी पर सर्वाधिक बारिश हुई. विश्व तापमान बढने से ठंड का प्रमाण कम हुआ.
* देश में क्या हुआ?
– भारत में जून 2013 में मानसून की अवधि के दौरान सबसे भीषण बाढ.
– केरल में वर्ष 2018 में बाढ से भारी नुकसान.
– 2019 और 2020 में पिछले 25 साल में दो सर्वाधिक अतिवृष्टि और बाढ देखने मिली.
– भारत और पडोसी देश में बाढ के कारण 2 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु दर्ज.
– 2011-2020 दशक में सूखे का सामाजिक, आर्थिक और मानवतावादी परिणाम.
– भारत के 28 में से 11 राज्यों में सूखा घोषित.
– इस कारण अन्न व पानी की असुरक्षितता निर्माण हुई.
– पानी की उपलब्धता तथा उसकी आपूर्ति में असमानता के कारण स्थिति और भयावह.
* डब्ल्यूएमओ क्या है?
– डब्ल्यूएमओ यह संयुक्त राष्ट्र की विशेष संस्था है.
– इस संस्था का मौसम, वातावण, जलस्त्रोत विषय पर काम है.
– डब्ल्यूएमओ की तरफ से हर वर्ष घोषित होने वाली मौसम स्थिति से संबंधित रिपोर्ट की तुलना में यह नई रिपोर्ट लंबा दृष्टिकोण और शाश्वत भरोसा देता है. इस कारण विश्व किधर चल रहा है यह पहचानने में सहायता हो सकती है, ऐसा डब्ल्यूएमओ के उपमहासचिव एलेना मनाएंकोव्हा ने कहा.