पुणे/दि.26– देश से होने वाले अनार निर्यात में भारी गिरावट आयी है. 2020-21 में देश से करीबन 70 हजार टन अनार का निर्यात हुआ था. 2021-22 में वह 50 हजार टन के आसपास होगा. इससे पूर्व देश से होने वाले निर्यात में राज्य का हिस्सा 100 प्रतिशत होता था,अब गुजरात से यह निर्यात शुरु है.
सोलापुर, पुणे, सांगली, अहमदनगर जिले से उत्पादित होने वाले निर्यातक्षम दर्जे के अनार का अन्य देशों में काफी निर्यात होता था. गत दो वर्षों से इंदापुर, सोलापुर, सांगोला, अहमदनगर भागों में काफी बारिश हो रही है. लेकिन इस बारिश के कारण अनार बागों पर रोगों का प्रादुर्भाव बढ़ा है. किड़ों के कारण हजारों हेक्टर के बाग नष्ट हो गए है. इसके असर के रुप में राज्य के अनार पट्टी से होने वाला निर्यात करीब-करीब ठप्प हो गया है.
अनार उत्पादक संगठना के अध्यक्ष प्रभाकर चांदणे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देश से होने वाले अनार का निर्यात 100 प्रतिशत महाराष्ट्र से ही होता था. 2020-21 में करीबन 70 हचार टन निर्यात हुआ था. विविध प्रतिकूल बातों के असर के रुप में इस बार भी निर्यात 50 हजार टन पर आया है. उस पर भी गुजरात से निर्यात होने लगा है. गुजरात के जामनगर और अहमदाबाद के पड़ोसी भागों में अनार की बुआई अच्छी है. इस बार के 50 हजार टन में गुजरात का हिस्सा 20 प्रतिशत पर पहुंचा है. गुजरात के अनार का मुख्य रुप से कांडला बंदर से निर्यात होता है.
राज्य में कुल 1 लाख 43 हजार हेक्टर पर अनार की बुआई थी. इनमें से 50 प्रतिशत बाग कीड़ों सहित अन्य कारणों से निकाल दिए गए है. अब भी 20 प्रतिशत बाग निकालने पड़ेंगे. राज्य में अनार के बगीचों के हुए नुकसान की भरपाई शीघ्र नहीं होगी. विशेष रुप से इंदापुर, आटपाडी, सांगोला भागों में काफी नुकसान हुआ है. किसान नये से बुआई करने के इच्छुक नहीं है. परिणामस्वरुप अनार क्षेत्र में फिर से जल्दी बढ़ोत्तरी होने की संभावना कम है.
* इन राज्यों में उत्पादन
देश के कुल उत्पादन में महाराष्ट्र का हिस्सा करीबन 65 प्रतिशत तक है. इसके बाद क्रमशः कर्नाटक, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु राज्य का नंबर है. निर्यात में भी आज तक महाराष्ट्र का हिस्सा 100 प्रतिशत था. अब गुजरात से निर्यात होने लगा है. बांगलादेश, नेदरलैंड, ब्रिटेन, रशिया, थाइलैंड ये देश अनार के बड़े ग्राहक है.