महाराष्ट्र

खाद के अनुदान में भारी वृध्दि, केंद्र ने दी किसानों को बडी राहत

छह माह के लिए 61 हजार करोड का वृध्दिंगत प्रावधान

मुंबई/दि.29– इस समय चल रहे वैश्विक हालात की वजह से पूरी दुनिया में खाद के लिए लगनेवाले अमोनिया, पोटॅश व फॉस्फेट जैसे कच्चे माल की किल्लत पैदा हो गई है. जिसके परिणाम स्वरूप रासायनिक खादोें के दामों में भारी-भरकम इजाफा हुआ है. ऐसे में डीएपी, अमोनिया, पोटॅश व फॉस्फेट युक्त खादोें के दामों को नियंत्रण में रखने हेतु केंद्र सरकार को पोषणमूल्य आधारित निती के तहत दिये जानेवाले अनुदान में काफी बडी वृध्दि की गई है. केंद्र सरकार द्वारा लिये गये इस निर्णय से किसानों को काफी बडी राहत मिलनेवाली है. साथ ही अब कृषि उत्पादनों पर कोई विपरित परिणाम भी नहीं होगा.
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 के कालखंड हेतु खाद अनुदान के लिए 60 हजार 939 करोड रूपयों का अनुदान मंजुर किया है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक डीएपी के 50 किलोवाले बोरे पर इससे पहले 1 हजार 650 रूपये का अनुदान दिया जाता था. जिसे बढाकर 2 हजार 501 रूपये कर दिया गया है. ऐसे में अब डीएपी का 50 किलोवाला बोरा 1 हजार 350 रूपये में मिलेगा. इसी तरह एमओपी खाद के 50 किलोवाले बोरे पर पहले 759 रूपये का अनुदान मिलता था. जिसमें 455 रूपये की वृध्दि हुई है. वहीं एनपीके खाद के 50 किलोवाले बोरे पर 1 हजार 425 रूपये का अनुदान दिया जाता था. जिसमें 868 रूपये की वृध्दि की गई है. इन सबके के साथ ही एनएएनपी खाद के अनुदान में सर्वाधिक वृध्दि की गई है. इस खाद के 50 किलोवाले बोरे पर अब तक 2 हजार 306 रूपयों का अनुदान दिया जाता था. जिसमें 1 हजार 408 रूपये की वृध्दि की गई है.
इस फैसले के चलते अब किसानों पर खादों की दरवृध्दि का कोई असर नहीं पडेगा, बल्कि उन्हें पिछले वर्ष वाले दामों पर ही खाद मिलेगी. ज्ञात रहेें कि, केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 से नाईट्रोजन, फॉस्फेट, पोटॅॅश व सल्फरयुक्त खादों पर अनुदान देने हेतु पोषण मूल्य आधारित खाद अनुदान नीति पर अमल करना शुरू किया था और मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा पहले ही बताया गया था कि, वर्ष 2022-23 में खादों पर दिया जानेवाला अनुदान 2 लाख करोड से भी अधिक रह सकता है.

* विशेषज्ञों ने किया फैसले का स्वागत
सरकार के इस निर्णय को लेकर खाद उद्योग के विशेषज्ञ विजय पाटील ने कहा कि, देश में रासायनिक खादों की किल्लत का मसला काफी गंभीर हो गया था. यद्यपि सरकार अपने पास खाद उपलब्ध रहने की बात कह रही थी, किंतु हकीकत में किसानों को खादों की किल्लत की चिंता सता रही थी. परंतु अब वृध्दिंगत अनुदान मिलने के चलते स्थानीय स्तर पर खादों की उपलब्धता बढ जायेगी तथा खाद कंपनियों के खादों की दरों में अब कोई वृध्दी नहीं हो पायेगी.

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