महाराष्ट्र

यहां कोरोना के चलते कोर्ट बंद है, और आपको आंदोलन की सूझ रही है

हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों व नेताओं सहित संगठनों को लगायी फटकार

मुंबई/दि.1 – कोविड संक्रमण के खतरे और जारी लॉकडाउन के दौरान भी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य में अलग-अलग स्थानों पर हो रहे आंदोलनों पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मुंबई हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि, कोविड काल के दौरान किये जानेवाले राजनीतिक व सामाजिक आंदोलनों को रोकने के लिए सरकार को आवश्यक व्यवस्था करनी होगी और यदि सरकार ऐसा नहीं कर पाती है, तो फिर कोर्ट को कडे कदम उठाने होंगे. अदालत ने यह भी कहा कि, कोविड संक्रमण के संकट की वजह से यहां अदालते बंद है और हम पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहे और राजनीतिक दलों, नेताओं व संगठनों को आंदोलन करने की सुझ रही है. यदि ऐसे ही एक के बाद एक आंदोलन जारी रहे, तो कोविड का संक्रमण कभी नियंत्रित नहीं हो पायेगा.
बता दें कि, इस समय कोविड नियंत्रण व दवाईयों के व्यवस्थापन हेतु हाईकोर्ट में कई जनहित याचिका दायर है. जिन पर सुनवाई करते हुए मुंबई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता तथा न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने राजनीतिक दलों, नेताओं व संगठनों को जमकर आडे हाथ लिया. बता दें कि, कोविड के संक्रमण को नियंत्रित करने हेतु राज्य सरकार द्वारा कहीं पर भी बडे पैमाने पर लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगाया गया है. बावजूद इसके नवी मुंबई विमानतल के नामकरण तथा मराठा आरक्षण सहित ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में जगह-जगह आंदोलन किये गये. जिसमें से नवी मुंबई विमानतल के नामकरण हेतु किये गये आंदोलन में करीब 25 हजार लोग शामिल हुए थे. जिसे न्यायालय द्वारा बेहद गंभीरता से लेते हुए कहा गया कि, ऐसे आंदोलनों को रोकने हेतु राज्य सरकार को व्यवस्था सक्रिय करनी होगी और यदि यह सरकार के लिए संभव नहीं होगा, तो हाईकोर्ट द्वारा ऐसे आंदोलनों को रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाये जायेंगे.

क्या राजनीतिक माईलेज है इतना जरूरी

हाईकोर्ट ने कहा कि, अभी नवी मुंबई का विमानतल बनकर तैयार भी नहीं हुआ है और उसके नामकरण को लेकर विवाद शुरू हो गये है. क्या इस आंदोलन को कुछ समय के लिए टाला नहीं जा सकता था. कोर्ट के मुताबिक लोग केवल अपने राजनीतिक फायदे के लिए आंदोलन छेडते है, क्या कोविड संक्रमण को नियंत्रित करने की बजाय राजनीतिक माईलेज प्राप्त करना ज्यादा जरूरी है, इस आशय के शब्दों में हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों, नेताओं और संगठनों को खडे बोल सुनाये है. साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई आगामी सप्ताह में करना तय किया.

अपने मतदाताओं के सामने सच क्यों नहीं बोलते

हाईकोर्ट के मुताबिक इस समय राज्य में जगह-जगह पर मराठा आरक्षण व ओबीसी आरक्षण को लेकर आंदोलन किये जा रहे है. जबकि इस मामले को लेकर राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. ऐसे में नेताओं ने अपने मतदाताओं व समर्थकों को बताना चाहिए कि, ये मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के सामने विचाराधीन है. किंतु इस समय हर किसी को राजनीतिक प्रसिध्दी चाहिए है. ऐसे में वे अपने मतदाताओं व समर्थकों से सच को छिपाते हुए आंदोलन का रास्ता अपना रहे है. लेकिन इस सबको तुरंत रोका जाना चाहिए और भविष्य में ऐसे आंदोलनों को रोकने हेतु सरकार कौनसे कदम उठाने जा रही है. इसकी जानकारी हाईकोर्ट को दी जानी चाहिए. वहीं यदि सरकार के पास इन आंदोलनों को रोकने हेेतु कोई तरीका या उपाय नहीं है, तो फिर खुद न्यायालय को अपनी ओर से कुछ कडे व प्रतिबंधात्मक कदम उठाने पडेंगे.

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