महाराष्ट्र

हाईकोर्ट ने जेल में बंद वरवरा राव को इलाज की अनुमति दी

नानावती अस्पताल में होंगे भर्ती

मुंबई/दि.१८ – भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद तेलुगू कवि वरवरा राव को बॉम्बे हाई कोर्ट ने नानावती अस्पताल में 15 दिन के इलाज के लिए भर्ती होने की इजाजत दी है. अस्पताल में इलाज के दौरान आने वाला खर्च महाराष्ट्र सरकार को वहन करना होगा. साथ ही वरवरा राव के परिवार को अस्पताल के मानदंडों के मुताबिक मिलने की अनुमति भी दी गई है. वरवरा राव ने मेडिकल आधार बर जमानत की याचिका दाखिल की थी.
हाई कोर्ट ने बुधवार को वरवरा राव की गंभीर चिकित्सीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्देश दिया कि उन्हें 15 दिन के लिए जेल से नानावती सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में शिफ्ट किया जाए.
वरवरा राव की जमानत अर्जी पर मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई होनी थी, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण यह मुमकिन नहीं हो सका. अदालत ने तब अधिवक्ताओं की उपस्थिति के माध्यम से याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया.
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस माधव जामदार ने वरवरा राव के वकीलों से केवल अंतरिम राहत के लिए दलीलों को सीमित रखने को कहा. वरवरा राव के लिए वकील इंदिरा जयसिंह कोर्ट में पेश हुईं. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा, वह 2 साल से जेल में हैं. जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तव वह स्वस्थ थे, और तब सह-अभियुक्त वर्नोन गोंसाल्वेज और अरुण फरेरा उनकी देखभाल करते थे, जो मेडिकल के लिए ट्रेंड नहीं हैं. जयसिंह ने कहा कि वह अब अपने मुवक्किल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए दलील दे रही हैं, क्योंकि जमानत के लिए पर्याप्त दलीलें चाहिए.जयसिंह ने अदालत को वरवरा राव की स्वास्थ्य की स्थिति से अवगत कराया. उनके (वरवरा राव) साथ अब तक जो कुछ भी हुआ था, उसके बारे में भी जानकारी दी. राव को जेजे अस्पताल में रखा गया था. राव को अस्पताल में किस तरह की तकलीफ झेलनी पड़ी इसका उल्लेख करते हुए इंदिरा जयसिंह ने कहा, मैं राज्य की ओर से लापरवाही का आरोप लगा रही हूं. यदि राज्य उनकी देखभाल करने में असमर्थ है, तो उन्हें नानावती अस्पताल में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अंतिम सुनवाई के दौरान अदालत ने नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद राव की जांच करने के लिए डॉक्टरों के एक पैनल को निर्देश दिया था. जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों ने पाया कि केस बिगड़ रहा है. वह डायपर में पूरी तरह से बिस्तर पर हैं, उनके लिए कोई मेडिकल अटेंडेंट नहीं है और एक कैथेटर लगा हुआ है. कैथेटर को 3 महीने तक नहीं बदला गया था, क्योंकि इसे बदलने वाला कोई नहीं था. दलील सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि राव की मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और अदालत को सूचित किए बिना राव को अस्पताल से डिस्चार्ज नहीं किया जाए. जमानत की याचिका पर अब 9 दिसंबर को सुनवाई होगी.
बता दें कि 2018 भीमा कोरेगांव केस में जेल में बंद वरवरा राव जुलाई में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. न्यायिक हिरासत में नवी मुंबई के तालोजा जेल में बंद राव को उसके बाद सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब राव के परिवार ने उनकी बिगड़ती हालत को लेकर चिंता जाहिर की थी.

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