महाराष्ट्र

हाई कोर्ट ने सरकार को हलफनामा दायर करने का दिया निर्देश

मामला प्रदेश में प्रवासी श्रमिकों के आर्थिक और यौन शोषण का

मुंंबई/दि. ४- प्रदेश में प्रवासी श्रमिकों के आर्थिक और यौन शोषण के मामले में दायर याचिका को हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से १९ जून तक हलफनामा मांगा है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने चीनी कारखाने के प्रवासी श्रमिक के आर्थिक और यौन शोषण पर मीडिया में प्रकाशित खबर का स्वत: संज्ञान लिया है. वकील प्रज्ञा तालेकर की ओर से हाई कोर्ट में सुमोटो याचिका दायर की गई है. बुधवार को कार्यकारी नायाधीश एस.वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मानें की खंडपीठ के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई. खंडपीठ ने सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है.
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता डॉ. वीरेंद्र सराफ ने खंडपीठ से याचिका पर विचार के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया. खंडपीठ ने १९ जून को मामले की सुनवाई रखी है. खंडपीठ ने पहले के आदेश को ध्यान में रखते हुए प्रसन्नता की, जिसमें प्रवासी श्रमिकों को चीनी कारखाने के श्रमिक के रूप में घोषित किया गया था. चीनी कारखाने के श्रमिक सभी लाभों के हकदार थे. कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम, २०१३ समेत खंडपीठ ने नीलम गोर्हे समिति की सिफारिशों को भी संज्ञान में लिया.
* निगरानी तंत्र की भी मांग
याचिका में प्रवासी श्रमिकों की वैधानिक न्यूनतम मजदूरी, भविष्य निधि, अवकाश, बीमा, मातृत्व लाभ, यौन उत्पीड़न से सुरक्षा और अन्य सेवा शर्तों के लिए उनका अधिकार शामिल है. प्रवासी श्रमिकों के लिए कल्याणकारी उपायों के संबंध में सरकार की कई नीतियों को रिकॉर्ड में रखा गया है और राज्य से उनके कार्यान्वयन की मांगी गई है. इसलिए सामाजिक कार्यकर्ताओं, अर्थशास्त्रियों, वकीलों और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों सहित नागरिक समाज के सदस्यों के साथ एक निगरानी तंत्र की भी मांग की गई है.

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