महाराष्ट्र

एसटी हडताल पर हाईकोर्ट सख्त, 250 डिपो में नोटिस लगाने के निर्देश

मुंबई /दि.23– महाराष्ट्र राज्य सडक परिवहन महामंडल (एसटी महामंडल) के कर्मचारियों की हडताल जारी है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एसटी महामंडल को 250 एसटी डिपो में बोर्ड पर नोटिस लगाकर 48 हजार कर्मचारियों को मामले को लेकर जारी न्यायालय की अवमानना याचिका पर सुनवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने महामंडल से कहा कि, वह इस बारे में व्यापक प्रसार संख्या वाले दो मराठी अखबारों व एक हिंदी समाचारपत्र में सार्वजनिक नोटिस भी दें. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि, जो कर्मचारी काम पर वापस आना चाहते हैैं महामंडल उनकी मेडिकल जांच कराकर उन्हें ड्यूटी में शामिल करें.
हाईकोर्ट में एसटी महामंडल की ओर से दायर न्यायालय की अवमानना याचिका पर सुनवाई जारी है. इस बीच कोर्ट को बताया गया कि, कर्मचारियों के एक संगठन ने हडताल वापस ले ली है. लेकिन महामंडल ने कहा कि, उन्हें इस बारे में आधिकारिक पुष्टि का पत्र नहीं मिला है. इससे पहले कोर्ट ने कहा कि, हडताल के चलते ग्रामीण इलाकों में बच्चों व वरिष्ठ नागरिकों को परेशानी हो रही है. इसलिए कर्मचारी काम पर लौटें.

* शोक अंतहीन नहीं हो सकता : अदालत
एक कर्मचारी संगठन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता गुणरत्ने सदाव्रते ने कहा कि, कर्मचारी अपने 55 साथियों के शोक में है. जिन्होंने सरकार की उपेक्षा के चलते आत्महत्या कर ली है. कर्मचारियों की मांग है कि, उनके साथ राज्य सरकार के कर्मचारी जैसा बरताव किया जाए. इस पर न्यायमूर्ति पीबी वैराले व एसएम मोडक की खंडपीठ ने कहा कि, मानव जीवन की क्षति सदैव पीडादायी है. इसकों लेकर दुखी होना व शोक व्यक्त करना स्वाभाविक है. लेकिन यह शोक अंतहीन समय तक नहीं हो सकता है. जीवन में आगे बढने के लिए शोक से बाहर आना पडता है. इसलिए कर्मचारी काम पर वापस लौटने की दिशा में कदम बढाए. अधिवक्ता सदाव्रते ने कहा कि, कर्मचारियों ने संवाद के लिए हमेशा दरवाजे खुले रखे है. जहां तक बात स्कूल जाने वाले बच्चों की है, तो क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान स्कूल बंद रहेंगे. वहीं राज्य सरकार की कमेटी ने इस मामले को लेकर सौंपी प्रारंभिक रिपोर्ट में एसटी महामंडल के विलीनीकरण के मुद्दे पर स्पष्ट राय नहीं दी है. उसने इस बारे में और अध्ययन को जरुरी बताया है. इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि, कोरोना महामारी के चलते एसटी महामंडल को काफी नुकसान का सामना करना पडा है. कर्मचारियों की हडताल की वजह से महामंडल की आर्थिक सेहत पर विपरित असर पडा है.

* मंत्री अनिल परब के ड्राइवर को 45 हजार वेतन
अधिवक्ता सदाव्रते ने कहा कि, हम सिर्फ इतना चाहते है कि, जब परिवहन मंत्री के ड्राइवर अनिल परब के ड्राइवर को 45 हजार वेतन मिल सकता है, तो एसटी बस के ड्राइवर को 12 हजार वेतन क्यों दिया जा रहा हैं? उसके गरिमापूर्ण जीवन के बारे में क्यों नहीं विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति इस मामले को देखे तो बेहतर होगा उन्हें मंत्री के बयान पर विश्वास नहीं है. कोर्ट अब याचिका पर 5 जनवरी को सुनवाई रखी है.

Related Articles

Back to top button