महाराष्ट्र

हाईकोर्ट का फैसला : बच्चे को पिता के सुपूर्द किया

बच्चे के बेहतर भविष्य हेतू

  • नानी ने किया विरोध, कहा पिता बहोत व्यस्त रहते है

मुंबई/दि.१९ – बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक १३ वर्षीय बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए उसे नानी के बजाय उसके पिता को सौंप दिया है. इससे पहले मुंबई की पारिवारिक अदालत ने बच्चे को उसकी नानी को सौंपा था. पारिवारिक अदालत के इस फैसले के खिलाफ बच्चे के पिता ने हाईकोर्ट में अपील की थी. अपील में पारिवारिक अदालत की ओर से इस विषय पर १९ अप्रैल २०१८ को दिये गए निर्णय को खामीपूर्ण बताते हुए इसे रद्द करने का आग्रह किया गया था. इसके साथ ही बच्चे की कस्टडी उसके पिता को सौंपने का निवेदन किया गया था.
न्यायमूर्ति ए.ए.सैयद व न्यायमूर्ति पी.डी.नाइक की खंडपीठ के समक्ष अपील पर सुनवाई हुई. इस दौरान बच्चे के पिता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल पेशे से डॉक्टर है. उनकी पत्नी भी डॉक्टर है. साल २००२ में मुंबई में विवाह के बाद दोनों यूके में रहने के लिए चले गए. दोनों ने बाद में वहीं अस्पताल में नौकरी भी कर ली. इस बीच उन्हें वर्ष २००७ में एक संतान हुई.
याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ को बताया कि बच्चे को जन्म देने के बाद उनके मुवक्किल की पत्नी अवसाद का शिकार हो गई. इस दौरान एक बार वह अपने तीन साल के बेटे के साथ भारत भी आयी. साल २०१५ में मेरे मुवक्किल की पत्नी बेटे को अपनी मां के पास छोडकर फिर से युके आ गई, परंतु उसकी पत्नी की मानसिक हालत में कोई सुधार नहीं आया. जिसके चलते उसे यूके के अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया. जहां उसका इलाज चल रहा है. उन्होंने खंडपीठ के समक्ष कहा कि इस सबके बीच जब मेरे मुवक्किल ने अपने सास से बेटे को सौंपने की मांग की तो उन्होंने इनकार कर दिया. पारिवारिक अदालत में आवेदन दायर कर बच्चे की कस्टडी हासिल कर ली. उन्होंने कहा कि मरे मुवक्किल बच्चे के पिता व उसके नैसर्गिक सरंक्षक है. सिर्फ अपवादजनक परिस्थितियो में ही बच्चे की हिरासत अभिभावक के अलावा किसी अन्य को सौंपी जा सकती है. उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल पेशे से डॉक्टर है. जबकि बच्चे के शरीर में एक ही किडनी है. इस लिहाज से वे बच्चे का यूके में बेहतर तरीके से देखभाल कर सकेंगे.
वहीं बच्चे की नानी के वकील ने इस अपील का विरोध किया. पारिवारिक अदालत के फैसले को सही बताया. उन्होंने दावा किया कि बच्चे के पिता पेशे से डॉक्टर है. इसके चलते व काफी व्यस्त रहते है. इसलिए वे ठीक से बच्चे की देखरेख नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मेरी मुवक्किल वर्ष २०१५ से बच्चे की देखरेख कर रही है. इस दौरान उन्होंने बच्चे के पिता पर अपनी पत्नी व बेटे की उपेक्षा का भी आरोप लगाया. मामले से जुडे दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि पिता बच्चे की देखभाल नहीं कर सकता. हमें इसकी कोई वजह नजर नहीं आती है. इसलिए बच्चे के बेहतर भविष्य व स्वास्थ्य को देखते हुए उसकी कस्टडी उसके पिता को सौंपने का निर्देश दिया जाता है और पारिवारिक अदालत के आदेश को रद्द किया जाता हैं. खंडपीठ ने १५ अप्रैल २०२१ तक बच्चे की नानी को उसकी कस्टडी उसके पिता को सौंपने व पासपोर्ट लौटाने का निर्देश दिया है. जिससे बच्चे को यूके ले जाया जा सके. खंडपीठ ने कहा कि यदि बच्चा अपनी नानी से मिलने की इच्छा जाहीर करता है तो उसे स्कूल की छुट्टी में नानी से मिलने दिया जाए.

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