मुंबई/दि.16 – सिटी बैंक घोटाला मामले में दर्ज शिकायत के बाद ईडी की कार्रवाई शुरू होने के चलते विवादों के भंवर में फंसे शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल को मुंबई हाईकोर्ट द्वारा जबर्दस्त झटका दिया गया है. अडसूल द्वारा ईडी की कार्रवाई के खिलाफ दायर की गई याचिका को मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिद्वय एस. एस. शिंदे व एन. जे. जमादार की खंडपीठ ने खारिज करते हुए अडसूल को सत्र न्यायालय के विशेष पीएमएलए न्यायालय में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए नियमानुसार आवेदन करने का निर्देश दिया.
बता दें कि, सिटी बैंक का अध्यक्ष रहते समय पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल के कार्यकाल दौरान बैंक में करीब 900 करोड रूपयों की आर्थिक गडबडी होने की शिकायत बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रवि राणा द्वारा दर्ज करायी गई थी. जिसके पश्चात प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा इस मामले की जांच-पडताल शुरू की गई थी. ईडी के अधिकारियों ने आगामी 27 सितंबर की सुबह मुंबई स्थित पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल के निवास व कार्यालय पर छापा मारा था. छापे की यह कार्रवाई जारी रहने के दौरान ही पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल की तबियत बिगड गई और उन्हें तुरंत ही गोरेगांव स्थित लाईफ लाईन केअर अस्पताल में भरती कराया गया. इसी दौरान ईडी की कार्रवाई के खिलाफ अडसूल द्वारा अपने वकीलों के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. जिस पर गुरूवार को हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई हुई. इस समय अडसूल की ओर से पैरवी करते हुए एड. अभिनव चंद्रचूड द्वारा कहा गया कि, सिटी बैंक में हुए 900 करोड रूपयों के घोटाले से पूर्व सांसद अडसूल का कोई लेना-देना नहीं है. बल्कि विधायक रवि राणा व उनकी सांसद पत्नी नवनीत राणा के खिलाफ जाति वैधता प्रमाणपत्र को लेकर अडसूल द्वारा की गई शिकायत किये जाने के चलते अब राणा दम्पत्ति द्वारा बदले की भावना के तहत अडसूल परिवार के खिलाफ झूठे आरोप लगाये जा रहे है. साथ ही यह भी कहा गया कि, ईडी की ओर से इस मामले को लेकर दर्ज की गई पीसीआयआर की कॉपी उन्हें नहीं दी गई है. अत: अडसूल को इस मामले में राहत दी जानी चाहिए. किंतू ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने इस पर जोरदार आक्षेप लेते हुए कहा कि, पीसीआयआर की कॉपी देना ईडी के लिए अनिवार्य व बंधनकारक नहीं है. साथ ही अडसूल द्वारा तबियत खराब होने का नाटक किया जा रहा है और वे पूरी तरह स्वस्थ है. यदि अडसूल की ओर से जांच में सहयोग नहीं किया जायेगा, तो मामले की जांच पूरी कैसे होगी. जिस पर अडसूल की ओर से एड. चंद्रचूड ने कहा कि, इस मामले में ईडी का राजनीतिक प्रयोग किया जा रहा है. जबकि इस मामले में खुद अडसूल ही मूल शिकायतकर्ता थे और उन्हें ही आरोपी कैसे बनाया गया. लेकिन खंडपीठ ने यह कहते हुए अडसूल को राहत देने से इन्कार किया कि, ऐसे कई मामले है, जिसमें आगे चलकर शिकायतकर्ता को ही आरोपी बनाया गया है. अत: इस याचिका को खारिज किया जाता, ताकि हाईकोर्ट ने इस मामले में राहत प्राप्त करने हेतु सत्र न्यायालय की विशेष पीएमएलए कोर्ट में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए नियमानुसार आवेदन करने का निर्देश दिया.