महाराष्ट्र

विदर्भ विकास मंडल समयावधि बढाने पर हाईकोर्ट का 9 अगस्त को निर्णय?

केंद्र सरकार को आदेश देते आ सकते है अथवा नहीं यह स्पष्ट किया जाएगा

नागपुर/दि.19– संवैधानिक मान्यता रहे विदर्भ विकास महामंडल की समयावधि बढाने के संदर्भ में केंद्र सरकार को आदेश देते आ सकते है अथवा नहीं इस मुद्दे पर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ आगामी 9 अगस्त को फैसला सुना सकती है. खंडपीठ ने गुरुवार को इस बाबत संकेत दिए.
इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति नितिन सांबरे और अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई. विदर्भ विकास महामंडल की समयावधि बढाने के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करनेवाले नितिन रोंघे के वकील एड. फिरदौस मिर्झा ने विदर्भ विकास महामंडल स्थापित करना यह केंद्र सरकार का विधि विषयक नहीं बल्कि कार्यकारी अधिकार है और इस कारण उच्च न्यायालय इस संदर्भ में केंद्र सरकार को आदेश दे सकती है, ऐसा दावा किया है. वहीं केंद्र सरकार के वकील एड. नंदेश देशपांडे ने विदर्भ विकास महामंडल स्थापित करना अथवा नहीं यह केंद्र सरकार का विवेकाधिकार और धोरणात्मक निर्णय का भाग रहने से उन्हें इस संदर्भ में कोई भी आदेश नहीं दिया जा सकता, ऐसा कहा है. संविधान की धारा 371 (2) के मुताबिक विकास मंडल स्थापित करने का अधिकार राष्ट्रपति को है. इस कारण उन्होंने विदर्भ, मराठवाडा और शेष महाराष्ट्र के लिए विकास मंडल स्थापित करने के लिए राज्यपाल को सर्वप्रथम 1994 में जिम्मेदारी दी थी. इस संदर्भ में 9 मार्च 1994 को आदेश जारी किया गया था. पश्चात विकास मंडल की समयावधि समय-समय पर बढाई गई. विदर्भ विकास मंडल की अंतिम समयावधि बढाकर 30 अप्रैल 2020 तक थी. पश्चात समयावधि नहीं बढाई गई. इस कारण मंडल का अस्तित्व समाप्त हो गया है. मंडल को समयावधि बढाकर मिलने के लिए राज्य सरकार ने 2022 में केंद्र सरकार को प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. साथ ही समय-समय पर स्मरणपत्र भी भेजे है. केंद्र सरकार द्वारा इस संदर्भ में राष्ट्रपति को सलाह देना अपेक्षित है.

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