महाराष्ट्र

‘दुर्घटनावश बने गृहमंत्री, ज्यादा बोलना अच्छा नहीं’…

सामना में अनिल देशमुख पर चुन-चुनकर वार

मुंबई/दि.२८ – मुंबई में एंटीलिया और सचिन वाजे के मुद्दे पर सियासी चुनौतियों का सामना कर रही महा विकास अघाड़ी सरकार का शिवसेना ने बचाव किया है. शिवसेना नेता संजय राउत ने सामना में लिखे लेख में जहां राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख को नसीहत दी है तो साथ ही ये भी जता दिया है कि विपक्ष की लाख कोशिशों के बावजूद गठबंधन सरकार गिरने वाली नहीं है.
संजय राउत ने लिखा है, महाराष्ट्र में विपक्ष को उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने की जल्दबाजी है. इसलिए फटे हुए गुब्बारे में हवा भरने का काम वो कर रही है. उनके आरोप शुरुआत में जोरदार लगते हैं, बाद में गलत साबित होते हैं. लेकिन ऐसे आरोपों के कारण सरकार गिरने लगे तो केंद्र की मोदी सरकार को पहले जाना होगा.
शिवसेना नेता ने लिखा, मनसुख हिरेन की हत्या और एंटीलिया मामले में राज्य सरकार ने मुंबई पुलिस के आयुक्त परमबीर सिंह का तबादला कर दिया. परमबीर सिंह महत्वाकांक्षी अधिकारी हैं. होमगार्ड महासंचालक के पद पर की गई बदली वो सह नहीं सके. गृहमंत्री अनिल देशमुख ने एक बयान देकर आग में घी डालने का काम किया. पुलिस कमिश्नर ने गलतियां कीं इसलिए उन्हें जाना पड़ा, अनिल देशमुख के इस बयान पर परमबीर सिंह ने उन पर 100 करोड़ रुपये की वसूली का टारगेट देने का आरोप मढ़ दिया.
संजय राउत ने लिखा, सचिन वाजे अब एक रहस्यमयी मामला बन गया है. पुलिस आयुक्त, गृहमंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा और विश्वासपात्र रहा वाजे, महज एक सहायक पुलिस अधिकारी था. उसे मुंबई पुलिस का असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया गया ये एक वास्तविक जांच का विषय है. मुंबई पुलिस आयुक्तालय में बैठकर वाजे वसूली कर रहा था और गृहमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं होगी?
सामना में कहा गया कि अनिल देशमुख को गृहमंत्री का पद दुर्घटनावश मिल गया. जयंत पाटील, दिलीप वलसे पाटील ने गृहमंत्री का पद स्वीकार करने से मना कर दिया. तब यह पद शरद पवार ने अनिल देशमुख को सौंपा था. इस पद की एक गरिमा और रुतबा है. खौफ भी है. गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया.
गृहमंत्री को कम से कम बोलना चाहिए. बेवजह कैमरा के सामने जाना और जांच के आदेश जारी करना अच्छा नहीं है. सौ सुनार की एक लोहार की, ऐसा बर्ताव गृहमंत्री का होना चाहिए. पुलिस प्रभाग का नेतृत्व सिर्फ सैल्यूट के लिए नहीं होता है. वो प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है. प्रखरता ईमानदारी से आती है. ये भूलने से कैसे चलेगा.
शिवसेना ने कहा कि लोगों को परमबीर का आरोप शुरू में सही लगा. इसकी वजह, सरकार के पास डैमेज कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं थी. एक वसूलीबाज पुलिस अधिकारी का बचाव पहले विधान मंडल में किया गया. उसके बाद परमबीर सिंह के आरोपों का उत्तर देने के लिए कोई तैयार नहीं था और मीडिया पर कुछ समय के लिए विपक्ष ने कब्जा कर लिया था. ये भयंकर था.
गुजरात के आईपीएस अफसर संजीव भट्ट और नोएडा के वैभव कृष्ण के मामलों का भी सामना में जिक्र किया गया है. संजीव भट्ट ने इससे भी भयंकर पत्र गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को लिखा था. नोएडा के पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने भी योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के ‘वसूली कांड’ की जानकारी दी थी. लेकिन उन पत्रों को कचरे की टोकरी में डाल दिया गया. संजीव भट्ट तथा वैभव कृष्ण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई.
संजय राउत ने लिखा कि देवेंद्र फडणवीस दिल्ली जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं ताकि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का मौहाल बने. वहीं राज्यपाल ठाकरे सरकार जाए इसके लिए राजभवन में बैठ कर ईश्वर का अभिषेक कर रहे हैं. एंटीलिया और परमबीर सिंह लेटर प्रकरण में सरकार जाएगी ऐसी उम्मीद वे लगाए बैठे थे. लेकिन उस पर भी पानी फिर गया.

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