महाराष्ट्र

महाविकास आघाडी में भड़क सकता है ‘गृहयुध्द’!

अपनी अनदेखी से आहत है कई घटक दल

मुंबई/दि.४ – राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार को सत्ता में आए करीब डेढ वर्ष का समय बीत चुका हैे. किंतु महाविकास आघाडी में शामिल रहनेवाले सहयोगी दलों को सत्ता में अब तक कोई पद नहीं दिया गया है. जिससे इन घटक दलों के नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है. वही इस समय राज्य में महामंडलों पर नियुक्ति का दौर शुरू होनेवाला है. जिसके मद्देनजर अब घटक दलों द्वारा आक्रमक भूमिका अपनाई जाने के संकेत दिखाई दे रहे है. वहीं विधान परिषद की सदस्यता को लेकर स्वाभिमानी शेतकरी के राजू शेट्टी ने पहले ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. वही अब अन्य घटक दल भी सरकार को आंखे दिखाने के मुड में है.
बता दे कि राज्य में विगत विधानसभा चुनाव के बाद महाविकास आघाडी की स्थापना करते हुए कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस व शिवसेना ये तीनों दल एक मंच पर है. किंतु इससे पहले विधानसभा चुनाव जारी रहते समय कांग्रेस व राकांपा को ५० से अधिक दलों द्वारा अपना समर्थन लिया गया था. ऐसे में दोनों कांग्रेस की आघाडी में अन्य कई दल भी शामिल थे. इनमें से कुछ प्रमुख दलों को महाविकास आघाडी में शामिल किया गया. इन दलों को उम्मीद थी कि महाविकास आघाडी के सत्ता में आने के बाद उन्हें भी सत्ता की भागीदारी मिलेगी. किंतु डेढ वर्ष का समय बीत जाने के बाद बावजूद भी उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. ऐसे में इन दलों का मानना है कि उन्हें केवल कागज पर ही सत्ता में शामिल किया गया है. और उन्हें हकीकत में सत्ता का कोई लाभ नहीं दिया गया. इससे उनमें दिनों दिन नाराजगी बढती जा रही है.
बता दे कि महाविकास आघाडी में विभिन्न मित्रदलों के ८ विधायक शामिल है. जिनमें समाजवादी पार्टी, स्वाभिमानी संगठन, शेतकरी कामगार पार्टी, बहुजन विकास आघाडी जैसे दलों के विधायको का समावेश है. इनमें से किसी न किसी को मंत्री पद मिलेगा. ऐसी उम्मीद थी. किंतु ऐसा नहीं हुआ. इसी तरह विधानसभा व राज्य सभा सदस्यों का निर्विरोध चयन करते समय भी इन घटक दलों का कोई विचार नहीं किया गया. जिसकी वजह से इन घटकदलों में नाराजगी व्याप्त है. वहीं राज्यपाल नियुक्त विधायको की सूची में से राजू शेट्टी का नाम काटे जाने की खबर के चलते स्वाभिमानी शेतकरी संगठन सहित अन्य दलों के आक्रमक होने की पूरी उम्मीद है.
याद रहे कि करीब १५ दिन पहले आघाडी के मित्रदलों के नेताओं की एक बैठक हुई थी. जिसमें सभी नेताओं ने खुले तौर पर अपनी नाराजी व्यक्त करते हुए कहा था कि इससे पहले जब भाजपा सेना युति की सरकार थी तब भी घटक दलों की अनदेखी की जाती थी तथा महाविकास आघाडी सरकार के दौरान भी लगभग अनुभव आ रहे है. क्योंकि महामंडल वितरण को लेकर राज्य सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में घटक दल के नेताओं को आमंत्रित भी नहीं किया गया. जिससे साफ है कि महाविकास आघाडी सरकार द्वारा घटक दलों की खुलकर अनदेखी की जा रही है.

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