महाराष्ट्रविदर्भ

बिलों पर सरसकट रकम कैसी आयी?

हाईकोर्ट ने पूछा सवाल ऊर्जा विभाग व महावितरण को भेजा नोटिस

प्रतिनिधि/दि.२४

नागपुर-लॉकडाउन के तीन महिनों में ग्राहकों को औसतन बिजली बिल दिए जा रहे है. ऐसे में आकारी गई समान रकम को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने आपत्ति जताते हुए राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग व महावितरण कंपनी को नोटिस भेजी है. औसत बिलों पर समान रकम कैसे वसूली की गई यह सवाल न्यायालय ने पूछा है. बता दे कि, राज्यभर के ग्राहकों को लॉकडाउन की अवधि में दिए जाने वाले बिजली बिल को लेकर सवाल खडे करने वाले जनहित याचिका जर्नादन मून ने उच्च न्यायायल में दाखिल की. जिस पर न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश नितीन सूर्यवंशी के खंडपीठ के सामने सुनवायी ली गई. याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखते समय एड. अश्विन इंगोले ने न्यायालय को बताया कि, एक ग्राहक को तीन महिने का औसतन बिल भेजा गया है. जिसमें १ हजार ७७४ यूनिट बिजली की खपत होने का उल्लेख किया गया था. लेकिन इसके लिए १८ हजार रुपए की रकम वसूली गई. वास्तविक देखा जाए तो एक यूनिट को तीन माह में विभाजित करना आवश्यक था. इसके अलावा महावितरण कंपनी ने प्रतियूनिट रकम वसूलने का नियोजन किया है. जिसे एमइआरसी ने भी अनुमति दी है. जिसके तहत ० से १०० यूनिट तक ३ रुपए ३४ पैसे और १०० से ३०० यूनिट तक व ३०० से ५०० यूनिट तक दर निर्धारित किए गए है. इसलिए उक्त बिजली बिल के यूनिट का उपयोग को तीन माह में विभाजित कर रकम वसूली करना अपेक्षित था. लेकिन महावितरण की ओर से यह नहीं किया गया है. न्यायालय में महावितरण की ओर से पक्ष रखते हुए श्रीधर पुरोहित ने बताया कि, प्रति यूनिट इतने दर वसूला जाए यह पहले ही तय है. इसलिए उसी आधार पर बिल तैयार किए गए है. इस दौरान नागपुर खंडपीठ की ओर से औसतन बिजली उपयोग को तीन माह में विभाजीत क्यों नहीं किया गया इस बारे में पूछे जाने पर एड. पुरोहित संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए जिसके चलते महावितरण और ऊर्जा विभाग को नोटिस भेजी गई है. इस पर अब दो सप्ताह के बाद सुनवायी होगी.

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