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कभी बालासाहब के साथ मिलकर मासिक निकाला था, आगे कभी दिखा ही नहीं

शरद पवार ने अपनी युवावस्था के ‘उद्योगो’ का सुनाया किस्सा

कोल्हापुर/दि. 3 – अपनी युवावस्था के दौरान मैने कुछ लोगों के साथ मिलकर कई ‘उचापति उद्योग’ किए. जिसके तहत ‘नेता’ नामक एक साप्ताहिक निकाला था. जिसके 5-6 अंक ही निकले और वह साप्ताहिक बंद हो गया. इसके बाद मैने और दिवंगत बालासाहब ठाकरे सहित अन्य दो दोस्तो ने मिलकर ‘राजनीति’ नामक मासिक शुरु करने का निर्णय लिया और चारो ने 5-5 हजार रुपए जमा करते हुए वह मासिक भी निकाला. उस समय कुछ लोगों ने सलाह दी कि, इस मासिक को सिद्धी विनायक के चरणों में रखो, इतना अधिक बिकेगा कि, देखने को ही नहीं मिलेंगा. जिसके चलते हमने उस मासिक का पहला अंक सिद्धी विनायक के चरणों में रखा और उसके बाद वह मासिक भी कभी दिखाई नहीं दिया. इस आशय का प्रतिपादन करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार पार्टी के मुखिया व सांसद शरद पवार ने अपनी युवावस्था के दौर को याद किया.
कोल्हापुर में महाराष्ट्र दिनमान नामक अखबार के शुभारंभ अवसर पर उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही शरद पवार ने अखबार के संपादक विजय चोरमारे को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, निश्चित तौर पर चोरमारे द्वारा शुरु किया गया अखबार सफल साबित होगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, यदि कोई व्यक्ति उन्हें उपहार के तौर पर कोई किताब देता है, तो वे उस पर लगे कवर को निकाले बिना वह उपहार कभी स्वीकार नहीं करते. क्योंकि, इसके पहले एक बार किसी व्यक्ति ने उन्हें ऐसे ही कवर में लपेटकर एक किताब दी थी. जिसे घर जाकर खोलने पर कवर के भीतर गोलवलकर की किताब थी. तब से उन्होंने बिना कवर खोले कोई किताब नहीं लेने का निर्णय लिया.

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