महाराष्ट्र

संविधान व देश रक्षा के लिए सजगता से कार्य करुंगी

पालकमंत्री यशोमति ठाकुर का नए साल में नया संकल्प

मुंबई/दि.31 – संविधान व देश रक्षा के लिए सजगता से काम करुंगी ऐसा नया संकल्प नए साल पर जिले की पालकमंत्री तथा राज्य की महिला व बालविकास मंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने लिया है. यशोमति ठाकुर ने मंत्री के रुप में अपने दो साल के कार्यकाल के प्रति संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि, पिता के कान मंत्र अपने दुखो की बजाए बाकी का दुख कम करने के प्रयास को ही उन्होंने अपना उद्देश्य बनाया है. इस दौरान महिला नीति, अनाथ बच्चों की मदद जैसे मसले पर महाराष्ट्र देश में आगे रहने का गौरवपूर्ण उल्लेख किया. दो साल पूरा होने पर जिले की पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने अपनी भावनाएं एवं कार्यो का संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए सभी से आर्शीवाद की कामना भी की.
राज्यमंत्री मंडल में मंत्री के रुप में 2 साल का कार्यकाल पूरा हो गया. पहली बार मंत्री बनने का आनंद और उत्साह अलग था पद के साथ ही उसके कटिले होने की कल्पना भी थी. मैंने जिन स्थितियों में राजनीति में प्रवेश किया वह कभी नहीं भूली इसलिए मंत्री होने के बाद भी मुझमे कोई बदलाव नहीं आया. पिता व्दारा दिए गए कानमंत्र के दुखों की चिंता की बजाए अन्यों का दुख कम करने का काम करने को धेय बना लिया. उस दिन से राजनीति में आयी और राज्य के मंत्री के रुप में जिम्मेदारी निभाने की बात कही.

कोरोना ने विश्व में मचाई तबाही

मंत्री पद की शपथ ग्रहण के बाद से पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में आया. कोरोना ने विश्व में तबाही मचाई अमीर देशों ने घुटने टेक दिए उनकी आर्थिक व्यवस्था दयनीय हो गई. महामारी का कोई उपाय विशेषज्ञों के पास भी नहीं था. कोरोना को रोकने के लिए विश्वभर में लॉकडाउन का सहारा लिया गया. भारत जैसे देश के लिए लॉकडाउन का फैसला भयानक था. जिसमें केंद्र सरकार के थाली बजाओ, घंटा बजाओं जैसे कार्यक्रम करने के बाद आम आदमी सांशकथा. जनता कर्फ्यू से लेकर अचानक लॉकडाउन के सफर से सभी परेशान हो गए. हर व्यक्ति में जीवन को लेकर डर था कोरोना से डर ही अधिक जानलेवा दिखाई दे रहा था.

कुपोषण मुक्ति के लिए अभियान

मंत्री के रुप में शपथ लेने के बाद उन्होंने कुपोषण मुक्ति के लिए कुछ अभियान शुरु किया. महिला सुरक्षा का ऑडिट हाथ में लिया. बालक अधिकार जैसे उपेक्षित विषय में विशेषज्ञों की मदद से सुधार, महिला आयोग के सक्षमीकरण, इनके कार्यालय राज्यभर में शुरु करने का फैसला लिया. महिलाओं की सक्षमता के लिए महिला आर्थिक विकास महामंडल से नई कर्ज वितरण, बचत समूहों के उत्पाद की मार्केटिंग, अर्थ साक्षरता जैसे कार्यक्रम हाथ में लिए, अनाथ बच्चों, परित्यागता, महिलाओं, वारंगणाओं, भीक मांगनेवाली महिला, बच्चों के लिए अनगिनत उपक्रम शुरु किए गए. इससे पहले तक यह वर्ग अपेक्षित था. कोरोना के कारण इस पर ब्रेक लगने का डर था लेकिन पीछे पलटकर देखने पर जो बात ध्यान में आती है उस पर विश्वास नहीं होता.

कोरोना काल में महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिका

कोरोना के कारण पूरा विश्व स्तब्ध था. विश्वभर की महिलाओं ने फ्रंटलाइन वर्कर के रुप में काम किया स्वास्थ्य क्षेत्र में महिलाओं का सहभाग उल्लेखनीय है. सब्जी, अनाज बिक्री से लेकर स्वास्थ्य जांच, पोषक आहार पहुंचाने जैसे महत्वपूर्ण काम को अंजाम दिया. कोई दखल ले या न ले लेकिन आंगनवाडी ताई तथा आशावर्करों के कारण असंख्य लोगों की जींदगी बची है. इसी दौरान राष्ट्रीय पोषण माह उपक्रम महाराष्ट्र ने शुरु कर देश में पहला स्थान प्राप्त किया. कुपोषित बच्चों की खोज मुहिम ने हजारों बालकों की जींदगी बचाई यह गौरव की बात है.

अनाथों की मदद में महाराष्ट्र सबसे आगे

इसी तरह पारिवारिक हिंसाचार की समस्या को संयम से हल करने का प्रयास करने का प्रयास किया गया. कोरोना के कारण छोटे बच्चों के सिर से पालकों का साया हटने की वेदनादायी स्थिति सामने आ रही थी. अनाथ बच्चों को मदद का हाथ देने का फैसला महाराष्ट्र ने लिया. राज्य ही नहीं तो देश में अपनी तरह की यह पहली पहल थी. कोरोना के कारण विधवा महिलाओं के लिए राज्य ने मिशन वात्सल्य के माध्यम से विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाया.

महिला नीति लाने वाला देश में पहला राज्य

मंत्री के रुप में विभाग से जुडी हर बात की समीक्षा करने तथा नजर रखी. मंत्री बनने के बाद महिला नीति की समीक्षा करनी शुरु की. महाराष्ट्र महिला नीति लाने वाला देश का पहला राज्य बना है बाद में यह नीति कागजों पर ही नहीं रहने वाली स्थिति बन गई. जेंडर बजट के लिए आग्रही रहने से उपमुख्यमंत्री अजीत पवार व्दारा रखे गए बजट के कारण जेंडर बजट को स्थान मिला लेकिन वह भी अधूरा है.

यह बना विभाग का घोषवाक्य

महिला, मजबूत बालक, सुपोषित महाराष्ट्र-सुरक्षित महाराष्ट्र का चतुसुत्रिय विभाग का घोषवाक्य बनाया गया. विभाग से भी आगे जाकर राज्य में लोकतंत्र पर श्रद्धा वाले समाज निर्माण, जाति, धर्म के नाम पर तनाव पैदा करने वालों को रोकने का प्रयास करने पर मुझे संतोष है. देश में उत्पन्न स्थिति अभूतपूर्व है लोकतंत्र के लिए खतरे वाला नजारा सर्वत्र दिखाई दे रहा है. ऐसे दौर में शांत बैठना मुझे अपराध लगता है. इससे संविधान के मुताबिक देश की रक्षा के लिए सर्तक रहकर काम करने की जरुरत उन्होंने जताई. 2 साल का चरण यद्यपि बहुत छोटा है अभी बडा सफर और बडी लडाई आवश्यक है. इस सफर में छोटे-बडों का आर्शीवाद जरुरी रहने की बात भी महिला व बालविकास मंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने कही.

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