बहुमत में हो, तो मंत्रिमंडल का विस्तार क्यों नहीं करते?
नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार का सीएम एकनाथ शिंदे से सीधा सवाल
* गीले अकाल पर विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग रखी
* विदर्भ व मराठवाडा में गीला अकाल घोषित करने का मुद्दा भी उठाया
मुंबई/दि.25– राज्य की सत्ता में रहनेवाली शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा अब तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार क्योें नहीं किया गया, यह समझ से परे है. जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेेंद्र फडणवीस द्वारा अपनी सरकार के बहुमत में रहने का दावा किया जाता है. लेकिन फिलहाल मंत्रिमंडल के नाम पर केवल ये दोनों ही मंत्री है. ऐसे में दो सदस्यीय मंत्रिमंडल की वजह से राज्य में पूरा प्रशासनिक कामकाज ठप्प पडा हुआ है. अत: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस बात का जवाब देना चाहिए कि, अगर वे पूर्ण बहुमत में है, तो मंत्रिमंडल का विस्तार क्यों नहीं करते.
आज मुंबई में बुलाई गई पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही कहा कि, विगत कुछ दिनों से विदर्भ व मराठवाडा सहित राज्य के कई क्षेत्रों में अतिवृष्टिवाली स्थिति है और कई इलाकों में बाढवाले हालात है. जिनसे खेतों व फसलों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. इस बात के मद्देनजर बाढ व बारिश से प्रभावित क्षेत्रों में राज्य सरकार द्वारा गीला अकाल घोषित किया जाना चाहिए और प्रभावितों को जल्द से जल्द राहत व मुआवजा प्रदान करने हेतु विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए. उन्होंने इस आशय का पत्र राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भेजा है. इस पत्र में कहा गया कि, विगत 20 जून से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लगातार बारिश हो रही है. जिससे खेती-किसानी का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. ऐसे समय सरकार और प्रशासन का साथ मिलकर काम करना अपेक्षित होता है. किंतु चूंकि इस समय तक नई सरकार के मंत्रिमंडल का गठन ही नहीं हुआ है और पालकमंत्रियों की अब तक नियुक्ती नहीं हुई है. ऐसे में प्रशासन को योग्य दिशा-निर्देश देने का कोई जरिया ही उपलब्ध नहीं है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि, विधान मंडल का विशेष अधिवेशन बुलाते हुए बाढ एवं बारिश प्रभावित आम नागरिकों को राहत देने हेतु आवश्यक कदम उठाये जाये. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, सभी जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र में खुद पहल करते हुए प्रशासन के साथ हाथ मिलाकर काम करना चाहिए, ताकि बाढ एवं बारिश प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं पुनर्वास के काम को गतिमान कराया जा सके.