मुंबई /दि. 29– मराठी भाषा पढाने में आना- कानी करनेवाली शालाओं की मान्यता रद्द करने अथवा अनापत्ति प्रमाणपत्र रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है. इस आशय का एक आदेश शिक्षा विभाग ने जारी किया है. सभी शिक्षा उपनिदेशक उपसंचालको को निर्देश दिए गये हैं. जिसमें कहा गया कि वह राज्य की सभी माध्यम की शालाओं में मराठी भाषा का विषय पढाना अनिवार्य करें. पहले के आदेश का पालन हो रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित करें. शिक्षा उपसंचालको को भेजे गये पत्र में कहा गया कि कोरोना महामारी दौरान दी गई छूट का गलत अर्थ निकालकर अनेक शालाएं मराठी भाषा नहीं पढा रही. इस बारे में उप संचालकों को रिपोर्ट देने कहा गया है. विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जिन शालाओं में मराठी नहीं पढाई जा रही है उनके विरूध्द राज्य सरकार सख्ती बरतेगी.
* प्रति छात्र 17670 रूपए
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी शालाओं में दाखिल गरीब विद्यार्थियों की फीस पेटे सरकार प्रति छात्र 17670 रूपए अदा करेगी, ऐसी जानकारी का शासनादेश जारी हो गया है. पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष फीस 50 रूपए बढाई गई है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर स्कूल की वास्तविक फीस इससे कम होगी तो जितना ही भुगतान किया जायेगा. शासन ने कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के विद्यार्थी की सालाना फीस की जानकारी वेबसाइट और शाला फलक पर देने के निर्देश दिए है. शाला के पास आरटीई की मान्यता होनी चाहिए.
* बकाया तो दें सरकार
महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी असो. मेस्टा के संस्थापक अध्यक्ष संजय पाटिल ने कहा कि सरकार फीस तो तय कर देती है. किंतु भुगतान नहीं करती. आरटीई का बकाया बिल 1800 करोड के पार चला गया हैैं. विरोध प्रदर्शन के बावजूद पैसे नहीं दिए जा रहे हैं. सरकार पहले बकाया का भुगतान करें.