महाराष्ट्र

परमवीर सिंह अगर जांच में सहयोग करेंगे तो 9 जून तक नहीं होगी गिरफ्तारी

HC में महाराष्ट्र सरकार की दलील

मुंबई/दि.२४ – मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह अगर जांच में सहयोग करेंगे तो उन्हें 9 जून तक गिरफ्तारी से राहत दी जाएगी . ये बात आज महाराष्ट्र सरकार की तरफ से HC में कही गई. सरकार के मुताबिक परमबीर सिंह अगर उनके खिलाफ दर्ज मामले की जांच में सहयोग करते हैं, तो उन्हें 9 जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
महाराष्ट्र सरकार के सीनियर वकील दारियस खंबाटा ने जस्टिस एस एस शिंदे और जस्टिस एनआर बोरकर की बेंच के सामने यह बात कही. दोनों जस्टिस की बेंच ने पुलिस इंस्पेक्टर भीमराव घडगे की शिकायत पर परमवीर सिंह के खिलाफ दर्ज FIR खारिज करने का अपील वाली याचिका पर सुनवाई की, वहीं सरकार की तरफ से पेश हुए वकील खंबाटा ने कोर्ट में कहा कि परमवीर सिंह को इस मामले में किसी भी तरह की राहत की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. दरअसल पूर्व पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की है.
सरकारी वकील खंबाटा ने आज हाईकोर्ट में कहा कि परमवीर सिंह एक साथ ‘‘दो घोड़ों पर सवार नहीं हो’’ सकते. मतलब एक ही मामले में HC और SC दोनों से राहत नहीं मांग सकते. वही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के बयान से सहमति जताई. साथ ही कहा कि अगर वह जांच में सहयोग करते हैं तो उन्हें 9 जून तक गिरफ्तारी से राहत दी जाएगी. साथ ही उन्हें इस मामले में रहात नहीं मांगने का निर्देश दिया. वहीं परमवीर सिंह के वकील भी इस मामले में कोर्ट से सहमत दिखे. अब इस मामले में अगली सुनवाई 9 जून को होगी.
घडगे के वकील सतीश तालेकर ने परमवीर सिंह को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिलने का विरोध किया है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस मामले में घटना के पांच साल बाद स्नढ्ढक्र दर्ज की गई थी. शिकायतकर्ता ने इतना लंबा इंतजार किया, तो अगर वह दो और हफ्ते इंतजार कर लेते हैं, तो कुछ फर्क नहीं पड़ेगा. कोर्ट ने कहा कि परमवीर सिंह की गिरफ्तारी जब इतने सालों तक नहीं हुई तो तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर लेने से क्या फर्फ पड़ेगा. हाईकोर्ट ने कहा कि परमवीरसिंह अब भी सेवा में हैं और सरकार के पुलिस बल के अधिकारी हैं.

  • केंद्रीय एजेंसी से मामले की जांच की मांग

बतादें कि परमवीर सिंह ने एनसीपी के सीनियर नेता और महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. इन आरोपों के बाद विवाद काफी बढ़ गया था. कुछ ही दिन बाद अनिल देशमुख को पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
परमवीर सिंह ने पिछले हफ्ते नई याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख के खिलाफ शिकायत करने के बाद से उन्हें राज्य सरकार की तरफ से कई जांचों का सामना करना पड़ रहा है. साथ रही उन्होंने इन मामलों को महाराष्ट्र से बाहर ट्रांसफर किए जाने और सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की भी मांग की है.

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