मृत यात्री के पास टिकट नहीं मिली तो भी वारिस को मुआवजा दिया जाए
उच्च न्यायालय का फैसला, रेल दुर्घटना पीडित को राहत
नागपुर- / दि.2 दौडती रेलगाडी से नीचे गिर जाने के कारण मौत हुई यात्री के पास अधिकृत टिकट नहीं मिली तो भी उसके वारिस को भरपाई देना जरुरी है, ऐसा मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने एक मामले के फैसले में स्पष्ट किया. न्यायमूर्ति मुकुलिका जवलकर ने ऐसा फैसला सुनाया.
कानून के अनुसार अधिकृत टिकट के बगैर कोई भी रेलवे स्टेशन या रेलगाडी में प्रवेश नहीं कर सकता. रेल कर्मचारी जरुरी उस स्थान पर तैनात रहकर हर यात्रियों की टिकट जांच करते है. इसके कारण रेल गाडी में यात्रा करने वाले यात्री के पास अधिकृत टिकट है, ऐसा समझा जाता है. इस ओर ध्यान आकर्षित किया गया. इसी तरह किसी यात्री के पास टिकट नहीं है, ऐसा दावा रेलवे करती है, तो वह दावा रेलवे ही सिध्द करे, यह बंधनकारक है, ऐसा भी अदालत ने कहा.
दौडती रेलगाडी से नीचे गिरकर मृत हुए वरोरा निवासी संदेश काले के पास अधिकृत टिकट नहीं मिलने के कारण उसके वारिसदार को रेलवे दावा न्यायाधिकरण में 17 जनवरी 2017 को भरपाई देने से इंकार कर दिया. उसके खिलाफ वारिसदार ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. अदालत ने वह अपील मंजूर कर ली. उसके साथ ही यह कानूनी बात स्पष्ट कर वारिसदार को तीन माह में 8 लाख रुपए अदा करे, ऐसे निर्देश मध्य रेलवे को दिये. पीडित वारिसदारों में पत्नी आशा, पुत्री आचल, पुत्र वैभव का समावेश है. उन्हें इस फैसले से राहत मिली है.
ऐसी हुई दुर्घटना
संदेश काले 20 सितंबर 2012 को माजरी से वरोरा जाने के लिए रेलगाडी में बैठे थे. वरोरा में उन्होंने दौडती रेलगाडी से प्लेटफॉर्म पर उतरने का प्रयास किया, जिसके कारण वे प्लेटफॉर्म पर गिरे और रेलगाडी के पहिए के नीचे आ जाने के कारण उनकी मौत हो गई.
दुखद घटना है
यात्री का खुद आत्महत्या करने का उद्देश्य न हो तो, उसकी दौडती रेलगाडी में चढते समय या रेलगाडी से उतरते समय गिरना यह एक दुखद घटना ही है, ऐसे मामले में पीडित को मुआवजा देना जरुरी है, ऐसा अदालत ने अपने फैसले में कहा.