महाराष्ट्र

एमपीएससी में पसंदक्रम के नियम की अनदेखी

भरती प्रक्रिया से बाहर निकलने का पर्याय देने से बडा संभ्रम

नागपुर/दि.15– महाराष्ट्र सेवा आयोग यानि एमपीएससी की बहुसंवर्गीय भरती प्रक्रिया में सर्वसाधारण गुणवत्ता सूची के आधार पर प्रथम संवर्ग का पसंदक्रम प्रस्तुत करने का नियम है, लेकिन ऐसा रहने के बावजूद भी आयोग ने संयुक्त परीक्षा गट-ब के चारो संवर्ग का परिणाम एकसाथ घोषित किये बिना और उम्मीदवारों से किसी भी पद के लिए पसंदक्रम मांगे बिना सीधे गुणवत्ता सूची घोषितकर भरती प्रक्रिया से बाहर निकलने का ‘ऑप्टिंग आउट’ पर्याय दिया है. जिसे देखते हुए अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, कही महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग खुद अपने ही द्वारा बनाये गये नियमोें को नहीं भूल गया.
बता दें कि, महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग ने अराजपात्रित गट-ब सेवा के पुलिस उपनिरीक्षक, राज्य कर निरीक्षक, मंत्रालयीन सहायक, दुय्यम निबंधक व मुंद्राक निरीक्षक के कुल 746 पदों के लिए विगत 5 नवंबर को मुख्य परीक्षा ली थी. जिसके बाद आयोग ने दुय्यम निबंधक मुद्रांक निरीक्षक पदों की सर्वसाधारण गुणवत्ता सूची घोषित करते हुए उम्मीदवारों को सीधे ‘ऑप्टिंग आउट’ का पर्याय दिया था. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, एमपीएससी नेन ‘ऑप्टिंग ऑउट’ के जरिए होने वाली आर्थिक गडबडी को टालने के लिए प्रथमक्रम देने का नियम तैयार किया है. जिसके अनुसार संयुक्त परीक्षा में पुलिस उपनिरीक्षक, राज्य कर निरीक्षक, मंत्रालयीन सहायक, दुय्यम निबंधक व मुंद्राक निरीक्षक संवर्ग की मुख्य परीक्षा के बाद सर्वसाधारण गुणवत्ता सूची घोषित की जाती है. जिसके उपरान्त उम्मीदवारों के पास पसंदक्रम देने का पर्याय रहता है. जिस उम्मीदवार को सर्वाधिक अंक मिलते है, वह चारों संवर्गों हेतु पात्र माना जाता है और फिर अपनी पसंद के अनुसार चारों पदों को प्राधान्यक्रम देता है. पसंदक्रम राउंड के बाद एक बार फिर अस्थायी गुणवत्ता सूची घोषित करते हुए 7 दिन के भीतर भर्ती प्रक्रिया से बाहर निकलने की पर्याय दिया जाता है.
* पसंदक्रम का पर्याय न देते हुए एमपीएससी ने अपने ही नियम की अनदेखी की है. अस्थायी गुणवत्ता सूची घोषित होने के बाद आर्थिक गडबडियों को टालने हेतु ‘ऑप्टिंग आउट’ के लिए केवल एक या दो दिन की ही अवधि दी जानी चाहिए.
– महेश बडे,
स्टूडंट राईड एसोसिएशन
* संवर्ग निहाय गुणवत्ता सूची घोषित कर दी गई है. पूर्व परीक्षा में भी गुणवत्ता सूची घोषित करने हेतु यही पद्धति थी. जिसके चलते मुख्य परीक्षा में इसे बदला नहीं जा सकता. इसमें एक भी विद्यार्थी का नुकसान न हो, इस ओर आयोग द्वारा पूरा ध्यान दिया जा रहा है. जिसके चलते विद्यार्थियों ने गलत जानकारी पर विश्वास नहीं रखना चाहिए.
– डॉ. सुवर्णा खरात,
सचिव, एमपीएससी.

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