अमरावतीमहाराष्ट्र

जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं

बांबू व कैक्टस गार्डन सहित व्याघ्र प्रकल्प है आकर्षण

* ऐतिहासिक स्थानों की हो रही अवहेलना
* स्कॉयवॉक व आमझरी साहसी खेल संकुल का काम बाकी
अमरावती /दि.28– राज्य में अमरावती ही एक ऐसा जिला है, जिसका पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व रहने के साथ ही यहां पर वनसंपदा काफी समृद्धि है. जिसके चलते अमरावती को एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल कहा जा सकता है. यहीं वजह है कि, विगत कुछ वर्षों की तुलना में इस बार जिले में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई. इसे पर्यटन उद्योग के लिहाज से सकारात्मक चित्र कहा जा सकता है. परंतु वहीं दूसरी ओर ऐतिहासिक स्थानों सहित कुछ पर्यटन स्थलों की विकास की ओर की जाती अनदेखी को नुकसानदायक भी माना जा सकता है. क्योंकि चिखलदरा में बनने वाले स्कॉय वॉक के रास्ते से अब भी बाधाएं खत्म नहीं हुई है और यह महत्वाकांक्षी प्रकल्प अब तक अधर में लटका हुआ है.

उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर में श्री अंबादेवी व श्री एकवीरा देवी के मंदिर सहित पुराने किले के परकोट और भव्य दरवाजे अपने आप में प्रेक्षणीय स्थल है. साथ ही शहर के पूर्वी छोर पर स्थित छत्री तालाब और वडाली तालाब को भी पर्यटन स्थलों के तौर पर विकसित किया जा रहा है. इसके अलावा वडाली तालाब की पुरानी नर्सरी में बांबू गार्डन को विकसित किया जा चुका है. जहां पर देशी-विदेशी बांबूओं की विभिन्न प्रजातियां है और यह देश मेें दूसरे क्रमांक का बांबू उद्यान है. इसी के एक हिस्से में देश-विदेश में 100 से अधिक कैक्टस की प्रजातियां लाकर लगाई गई है और यहां कैक्टस गार्डन भी तैयार किया गया है. साथ ही साथ वडाली मार्ग पर ही ऑक्सीजन पार्क भी साकार हो चुका है.

इसके अलावा अमरावती जिले में प्राकृतिक संपदा से सजे मेलघाट के जंगल और विदर्भ का एकमात्र हिल स्टेशन रहने वाला चिखलदरा भी है. मेलघाट में व्याघ्र प्रकल्प उंचे-उंचे पहाडों व झरनों तथा वन्यजीव अभयारण्य एवं साहसी पर्यटन के लिए भी प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते है. इसके अलावा अमरावती से 90 किमी की दूरी पर स्थित चिखलदरा को विदर्भ का कश्मीर कहा जाता है. जहां पर सालभर रहने वाला ठंडा मौसम पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. चिखलदरा परिसर में 8 प्रेक्षणिय स्थल है. जिसमें गाविलगढ किला, किचकदरा यानि भिमकुंड, पंचगोल प्वॉॅईंट, हरिकेन प्वॉईंट, देवी प्वॉईंट, शक्कर तालाब, मोझरी प्वॉईंट सहित विराटराज का महल प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. इसमें से वैराट नामक स्थान सबसे उंचाई पर स्थित है. बता दें कि, चिखलदरा को राज्य में एकमात्र कॉफी उत्पादक क्षेत्र के तौर पर भी जाना जाता है. जहां पर इन दिनों शहद और स्ट्रॉबेरी का भी उत्पादन किया जाने लगा है.
इसके अलावा मोर्शी से 8 किमी की दूरी पर स्थित सलबर्डी भी बेहद प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. जहां पर गुफा के भीतर स्थित महादेव मंदिर की अच्छी खासी ख्याती है. साथ ही मोर्शी, चांदूरबाजार मार्ग पर स्थित रिद्धपुर को महानुभाव पंथी की काशी कहा जाता है. जहां पर मराठा भाषा विद्यापीठ की स्थापना होनी है.

* सकारात्मक
– मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प, कोलखाास व सेमाडोह के निसर्गरम्य स्थलों पर कुछ नये प्रकल्प शुरु होंगे.
– गाविलगढ व नरनाला किला में पं. नेहरु बॉटनिकल गार्डन व ट्रायबल म्युझियम की निर्मिति.
– चिखलदरा में धीर-धीरे पैराग्लाइडिंग की सुविधा का विकास.
– आमझरी प्रकल्प में साहसी खेल साबित हो रहे पर्यटकों के लिए आकर्षण.
– स्कॉय वॉक प्रकल्प के कामों की जल्द होगी शुरुआत.

* नकारात्मक
– देश का बेहद महत्वपूर्ण प्रकल्प रहने के बावजूद भी स्कॉय वॉक के काम में आ रही दिक्कतें.
– शहर के बांबू उद्यानन में बांबू से तैयार होने वाली वस्तूओं की विक्री हो चुकी बंद.
– शहर में बिटीशकालीन रहने वाले छत्री तालाब व वडाली तालाब है दुरावस्था के शिकार.
– मेलघाट में जंगल सफारी के लिए वनविभाग के पास पर्याप्त वाहन नहीं, कई वाहन हो चुके कबाड.
– पर्यटन को गतिमान करने हेतु पर्याप्त निधि व मनुष्यबल का अभाव.

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