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10 वीं में भी छात्राओं ने मारी बाजी

राज्य के सभी शिक्षा बोर्ड में बजा बेटियों का डंका

* 10 वीं की बोर्ड परीक्षाओं का नतीजा रहा 96.94 फीसद
* कोंकण रहा टॉपर, नासिक अंतिम पायदान पर
* अमरावती शिक्षा बोर्ड सातवें स्थान पर खिंसका
पुणे/दि.17– विगत कुछ दिनों से बडी बेसब्री के साथ कक्षा 10 वीं के परीक्षा परिणाम घोषित होने की प्रतीक्षा की जा रही थी और गत रोज की गई घोषणा के अनुरूप आज राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा अपरान्ह 1 बजे कक्षा 10 वीं के परीक्षा परिणाम घोषित किये गये. जिसमें राज्य का औसत परीक्षा परिणाम 96.94 प्रतिशत रहा. विशेष उल्लेखनीय है कि, हाल ही में घोषित कक्षा 12 वीं के परीक्षा परिणामों की तरह कक्षा 10 वीं के परीक्षा परिणाम में भी छात्राओं ने बाजी मारी है. राज्य में कक्षा 10 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करनेवाले छात्रों का प्रतिशत 96.06 फीसद है. वहीं उत्तीर्ण होनेवाली छात्राओं का प्रतिशत 97.96 फीसद रहा. यानी छात्रों की तुलना में 1.90 फीसद अधिक छात्राओं ने कक्षा 10 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है. इसके साथ ही इस वर्ष कक्षा 10 वीं के परीक्षा परिणाम में 99.27 फीसद रिजल्ट के साथ कोंकण बोर्ड ने राज्य में अव्वल स्थान हासिल किया है. वहीं 95.90 फीसद रिजल्ट के साथ नासिक शिक्षा बोर्ड सभी नौ संभागीय शिक्षा बोर्ड में नौवें यानी अंतिम स्थान पर रहा. इसके अलावा कक्षा 12 वीं के परीक्षा परिणाम में तीसरे स्थान पर रहनेवाला अमरावती शिक्षा बोर्ड कक्षा 10 वीं के परीक्षा परिणाम में सातवें स्थान पर है. इस आशय की जानकारी राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा बुलाई गई पत्रवार्ता में शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष शरद गोसावी तथा सचिव अशोक भोसले द्वारा दी गई.
इस पत्रवार्ता में बताया गया कि, इस वर्ष राज्य के नौ संभागीय शिक्षा मंडलों के जरिये कुल 15 लाख 84 हजार 790 नियमित विद्यार्थियों द्वारा पंजीयन कराया गया था. जिसमें से 15 लाख 68 हजार 977 विद्यार्थियों द्वारा बोर्ड की परीक्षा ली गई. इनमें से 15 लाख 22 हजार 3 यानी 96.94 फीसद परीक्षार्थियों ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की.

* 24 विषयों व 12,210 शालाओं का परिणाम शत-प्रतिशत
इस पत्रवार्ता में बताया गया कि, इस वर्ष राज्य की 22 हजार 921 शालाओं में पढनेवाले छात्र-छात्राओें ने कक्षा 10 वीं की परीक्षा में हिस्सा लिया था. जिसमें से 12 हजार 210 शालाओं के सभी परीक्षार्थी छात्र-छात्राएं उत्तीर्ण हुए है. यानी इन शालाओं का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा. इसके साथ ही कक्षा 10 वीं के पाठ्यक्रम में शामिल कुल विषयों में से 24 विषयों का परीक्षा परिणाम भी शत-प्रतिशत रहा है.

* पहले की तुलना में नतीजे सुधरे
इस पत्रवार्ता में दी गई जानकारी के मुताबिक मार्च-2020 में कक्षा 10 वीं का परीक्षा परिणाम 95.30 फीसद था. वहीं वर्ष 2021 में 99.95 फीसद परीक्षा परिणाम रहा. हालांकि वर्ष 2021 में कोविड संक्रमण के असर व खतरे को देखते हुए अंतर्गत मूल्यमापन पध्दति के जरिये परीक्षा ली गई थी. वहीं इस वर्ष यानी मार्च 2022 में पहले की तरह ऑफलाईन तरीके से कक्षा 10 वीं की बोर्ड परीक्षा ली गई. जिसका परीक्षा परिणाम 96.94 फीसद है. यानी मार्च 2020 से तुलना करने पर पता चलता है कि, इस वर्ष के परीक्षा परिणाम में 1.64 फीसद का इजाफा हुआ है.

* राज्य के नौ शिक्षा बोर्ड का परिणाम
कोंकण –      99.27
कोल्हापुर –   98.50
लातूर –        97.27
नागपुर –      97.00
पुणे –          96.96
मुंबई –         96.94
अमरावती –   96.81
औरंगाबाद –  96.33
नासिक –      95.90
कुल –          96.90

* उत्तीर्ण विद्यार्थियों की श्रेणीनिहाय संख्या
75% से अधिक –   6,50,779
60 से 75% –        5,70,027
45 से 60% –        2,58,027
35 से 45% –       42,470
कुल –                15,21,003

* 22 विद्यार्थियों को 100 फीसद अंक, 29 शालाओं का नतीजा शून्य
इस वर्ष के परीक्षा परिणाम में सबसे खास बात यह रही कि, जहां एक ओर समूचे राज्य में कुल 22 विद्यार्थी ऐसे रहे, जिन्होंने शत-प्रतिशत अंकों के साथ कक्षा 10 वीं की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण की और करीब 12 हजार शालाओं के सभी परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए. वहीं दूसरी ओर राज्य में 29 शालाएं ऐसी भी रही, जिनका नतीजा शून्य प्रतिशत रहा. यानी इन शालाओं से कक्षा 10 वीं की परीक्षा देनेवाला एक भी परीक्षार्थी उत्तीर्ण नहीं हो पाया. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है. साथ ही यह भी माना जा रहा है कि, यद्यपि समूचे राज्य में औसत परीक्षा परिणाम का स्तर सुधरा है, किंतु शून्य फीसद नतीजे देनेवाली शालाओं की संख्या को अनदेखा नहीं किया जा सकता. हालांकि अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि, ये 29 शालाएं किन-किन संभागीय शिक्षा बोर्ड से वास्ता रखती है और इन शालाओं के जरिये कक्षा 10 वीं की परीक्षा में कुल कितने विद्यार्थी शामिल हुए थे. लेकिन चिंता इस बात को लेकर जरूर जताई जा रहीं है कि, इस शून्य फीसद नतीजे के लिए शालाओं, शिक्षकों, अभिभावकों तथा खुद विद्यार्थियों में से कौन जिम्मेदार है.

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