घरेलू हिंसा मामले में आरोपी का पीडिता के साथ संबंध होना जरुरी
हाईकोर्ट ने सात रिश्तेदारों को घरेलू हिंसा मामले से किया बरी
मुंबई/दि.2 – घरेलू हिंसा के मामलों में आये दिन यह देखने मिलता है कि महिला न केवल अपने पति के खिलाफ बल्कि, उसके ऐसे रिश्तेदारों के खिलाफ भी शिकायत कर देती है, जो उनसे कोसों दूर रहते हैं. ऐसे रिश्तेदारों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानी का सामना करना पडता है. इसी मुद्दे पर मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. पति के सभी रिश्तेदारों को निर्दोष करार देते हुए अदालत ने कहा कि महिला की इस दलील में कोई तथ्य नहीं है. रिश्तेदार उनके घर छुट्टियां बिताने आये और पति के साथ मिलकर उसे प्रताडित किया. क्योंकि घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों में यह स्पष्ट किया गया है कि, किसी को भी आरोपी बनाने के लिए उसका पीडिता के साथ घरेलू संबंध या फिर एक घर साझा करना जरुरी है. ऐसे में जो रिश्तेदार दूसरे घर यहां तक कि दूसरे शहरों में रहते है, वे घरेलु हिंसा कैेसे कर सकते हेैं?
वाशिम जिले के कारंजा निवासी अंकिता ( 29, बदला हुआ नाम) ने 16 जनवरी 2020 को अपने पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ घरेलू हिंस्सा रोकथाम अधिनियम के तहत शिकायत की और आरोपियों में सास, देवर, ननद, उनके बच्चों का नाम लिखवा दिया. इनमें से कुछ रिश्तेदार मुंबई, कुछ नागपुर और कुछ अन्य क्षेत्रों के निवासी हैं. यह पति-पत्नी के साथ एक घर में नहीं रहे हैैं. पति व अन्य सभी आरोपियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करके यह मुद्दा उठाया कि घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत उन्हें आरोपी बनाया ही नहीं जा सकता. इधर, महिला की दलील थी कि जब ये रिश्तेदार छुट्टियों में उनके घर आते थे, तब पति को उकसा कर प्रताडित करते थे. हाईकोर्ट में महिला की दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कुल 7 रिश्तेदारों को बरी कर दिया. हालांकि पति को मामले से बरी करने के लिए अदालत ने इनकार कर दिया है.