महाराष्ट्र

शराब बिक्री में वृद्धि, राजस्व में आयी कमी

बीते वर्ष की तुलना में ११०० करोड रुपयों की आयी कमी

औरंगाबाद/दि.२२ – ऑनलाइन बिक्री और डिमांड में कमी नहीं होने पर भी शराब बिक्री और उसमें से मिलने वाले राजस्व में बीते वर्ष की तुलना में ११९९ करोड ६३ लाख रुपयों की कमी आयी है. जुलाई और अगस्त में आबकारी शुल्क के प्रत्येक २२२ करोड ८३ और २६६ करोड ७ लाख रुपयों की उत्पादन प्राप्त हुआ है. लेकिन बीते वर्ष इन दो महिने के तुलना में आय मायनस ३१ और मायनस २७ फीसदी होने की बात सामने आयी है.
बता दें कि, संचारबंदी के बाद सबसे ज्यादा डिमांड शराब को थी. ऑनलाइन बिक्री को अनुमति मिलने के बाद गांव-गांव में शराब खरीदने के लिए लोगों की लंबी कतारे देखने को मिली. ऑनलाइन पंजीयन करने और कतार में खडे रहने के भी किस्से सामने आये है. पंजीयन कराये गये पत्ते पर पार्सल पहुंचेंगे या नहीं यह भी संभावना नहीं रहने से शराब खरीदने के लिए लोग कतार में लग रहे थे. ग्रामीण व शहरी इलाकों में संचारबंदी से बिक्री पर काफी असर हुआ है. औरंगाबाद से विविध राज्यों में शराब बिक्री की जाती है. औरंगाबाद शहर में युनाईटेड स्पिरिट, कोकण एग्रो, एबीडी, रैडिको एनवी, ग्रेनॉज इन इन कंपनियों की विदेशी शराब बनती है.
बीते वर्ष २०१८-१९ में ३०९ करोड ७२ लाख लीटर का उत्पादन हुआ था. संचारबंदी के दौर में उत्पादन ठप्प हुआ. लेकिन बीते ३ माह से उत्पादन को गति आयी है. उत्पादन के आंकडे १९३ करोड ७२ लाख लीटर तक पहुंच गये है. बीते वर्ष की तुलना में यह कमी ३७.४२ फीसदी होने की आंकडेवारी राज्य आबकारी शुल्क विभाग की है. विदेशी शराब निर्मीती कंपनी के साथ ही पांच कंपनियां बीयर भी बनाती है. यूबी मिलीमियम, यूबी अजिंठा, काल्स बर्ग, एबीएन, लीलासन्स इन कंपनियों में बीयर तैयार होती है. तालाबंदी के चलते उत्पादन में कमी आने से यह प्रमाण ६८ फीसदी हुआ. जिसका परिणाम राजस्व कमी पर हुआ है. बीते ५ माह में औरंगाबाद जिले को ७१८ करोड ७ लाख रुपयों का राजस्व प्राप्त हुआ है.

बीते ३ माह में बिक्री में बढोत्तरी

संचारबंदी के चलते अप्रैल माह में उत्पादन शुरु करने के लिए अनुमति मिलने के बाद ९ करोड १३ लाख रुपयों का राजस्व प्राप्त हुआ था. मई माह में इसमें बढोत्तरी देखने को मिली. वह ७० करोड ३९ लाख रुपए, जून में १९४ करोड, जुलाई में २२२ करोड ८३ लाख और अगस्त में २६७ करोड रुपयों का राजस्व मिला. बीते वर्ष ३०३ लाख लीटर की शराब बिक्री हुई थी. लेकिन तालाबंदी के चलते डिमांड रहने वाले उत्पादन का राजस्व घटने के आर्थिक चक्र के पहिये दल-दल में फंसते जा रहे है.

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