महाराष्ट्र

मनरेगा के कामों की बढ़ी मांग

कोरोना की दूसरी लहर के चलते राज्य का चित्र

मुंबई/दि.16 – लॉकडाऊन के समय शहर का आर्थिक स्थिति डगमगाने से ग्रामीण भागों में बड़ी संख्या में हुए स्थलांतरण का असर गत दो वर्षों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार हमी योजना के (मनरेगा) कामों की मांग बढ़ाने पर हुआ. लेकिन दूसरी लहर खत्म होते ही शहर की आर्थिक स्थिति पटरी पर आने लगी. फिर भी महाराष्ट्र के ग्रामीण भागों में के मनरेगा के कामों की मांग कायम है.
कोरोना का प्रादुर्भाव न बढ़े, इसके लिए मार्च 2020 में केंद्र सरकार ने देशभर में लॉकडाऊन लागू किया. इस समय शहर का रोजगार ठप होने से श्रमिकों ने अक्षरशः किसी भी यातायात के साधन का आधार लेते हुए ग्रामीण भाग की ओर स्थलांतरण किया. रोजी-रोटी की सुविधा के लिए इस वर्ग को केंद्र सरकार की करीबन 90 प्रतिशत निधि पर चलने वाले मनरेगा यह योजना का काफी सहारा मिला. अप्रैल 2020 तक कड़ा लॉकडाउन लगाया गया था. मात्र मई 2020 में मरेगा पर अवलंबित रहने वाले श्रमिकों की संख्या तेजी से बढ़ गई. परिणामस्वरुप मनरेगा अंतर्गत भरे गए कामों के दिन की संख्या 1 करोड़ 20 लाख से अधिक (2019 में एक करोड़) तक पहुंची. जून में लगाया गया निर्बंध शिथिल करने के बाद वह तुलना में कम यानि 84 लाख पर पहुंच गई. मात्र जुलाई से आगे के 10 महीने वह फिर से बढ़ते दिखाई दिये. इसे सिर्फ नवंबर 2020 और जनवरी 2021 इन महीनों का अपवाद है.

मनरेगा अंतर्गत काम करने वालों में महिला व उम्र के 55 वर्ष पूर्ण करने वालों की संख्या अधिक है. वेतन कम होने से यह काम करने के लिए युवक तैयार नहीं होती, इस कारण इन कामों में यदि वृद्धि हो रही है तो यह चिंता की बात है.
– सुभाष लोमटे, उपाध्यक्ष किसान खेत मजदूर पंचायत

मनरेगा अंतर्गत महाराष्ट्र में गत तीन वर्ष में हुए काम (भरे गए कामों के दिन की संख्या)
2021-22                               3.68 करोड़
(अप्रैल से अक्तूबर दरमियान)
2020-21                               6.79 करोड़
2019-20                               6.29 करोड़

मनरेगा के विषय में…

महाराष्ट्र में सन 1972 में शुरु हुआ रोहयो केंद्रीय स्तर पर मनरेगा के रुप में स्वीकार किया गया. केंद्र सरकार इस योजना को साधारणतः 90 प्रतिशत निधि देती है. इसमें महिलाओं के रोजगार का प्रमाण साधारणतः 42 प्रतिशत है. इसमें मुंबई शहर-उपनगर को छोड़ 34 जिलों के करीबन 260 प्रकार के काम कुशल-अकुशल कामगारों से किये जाते हैं. ग्रामीण भाग में रोजगार की पहुंचाना यानि काम मांगने वाले प्रत्येक को वह उपलब्ध करवाने का उद्दिष्ट है. इसमें कृषि, कृषि संलग्नित, वृक्षारोपन, वयक्तिक लाभ की रास्ते के काम किए जाते हैं. गत वर्ष (2020-21)केंद्र की ओर से महाराष्ट्र को इस योजना के अंतर्गत 1640 करोड़ निधि दिया गया था. हर रोज 248 रुपए वेतन इस योजना अंतर्गत दिया जाता है.

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