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निर्दलीय विधायकों की एक ही माह में दो बार चांदी

राज्यसभा व विधान परिषद चुनाव के चलते बढी पूछ-परख

मुंबई/दि.15– हाल ही में विगत 10 जून को राज्यसभा के चुनाव हुए. वहीं अब 20 जून को विधान परिषद के चुनाव होने जा रहे है. चूंकि इन चुनावों में विधानसभा सदस्यों यानी विधायकों द्वारा मतदान किया जाता है. अलग-अलग पार्टियों से वास्ता रखनेवाले विधायक अपनी पार्टी द्वारा तय किये गये प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करते है. ऐसे में हार और जीत का दारोमदार छोटे दलों के विधायकों के साथ-साथ निर्दलीय विधायकों पर टिका होता है. जिसके चलते सभी राजनीतिक दलों द्वारा इन विधायकों को अपने पाले में खींचने के जमकर प्रयास किये जाते है. जिसके चलते एक ही माह के दौरान हो रहे इन दोनों चुनावों की वजह से राज्य में छोटे दलों के विधायकों सहित निर्दलीय विधायकों की पूछ-परख अच्छी-खासी बढ गई है. साथ ही कहा जा रहा है कि, एक के बाद एक होनेवाले इन दोनोें चुनावों की वजह से राज्य में निर्दलीय विधायकों के ‘अच्छे दिन’ आ गये है. वहीं आगामी माह के दौरान राष्ट्रपति पद का चुनाव होगा. उस समय भी निर्दलीय विधायकों की अच्छी-खासी पूछ-परख रहेगी.
बता दें कि, महाराष्ट्र में अलग-अलग छोटे दलों के 16 विधायक है. इसके अलावा निर्दलीय विधायकों की संख्या 13 है. ऐसे में इन 29 विधायकों द्वारा अपने वोटों के जरिये कोई भी बडा उलटफेर किया जा सकता है. ऐसे में राज्यसभा व विधान परिषद के चुनाव में जीत हासिल करने हेतु यदि राजनीतिक दलों के पास आवश्यक रहनेवाले वोटों का कोटा नहीं है, तो उन्हें इन विधायकों का सहारा लेना ही पडता है. हाल ही में संपन्न राज्यसभा के चुनाव में राज्य की सत्ताधारी महाविकास आघाडी को छठवीं सीट हेतु हुए चुनाव में हार का सामना करना पडा और राज्य के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने इस सीट पर अपने तीसरे प्रत्याशी को छोटे दलों के विधायकों सहित निर्दलीय विधायकों के दम पर जीत दिला दी. वहीं अब विधान परिषद के चुनाव होनेवाले है. ऐसे में एक बार फिर निर्दलीय विधायकों को साधने का प्रयास किया जा रहा है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक दलों से वास्ता रखनेवाले विधायकों के लिए अपना वोट पार्टी प्रतिनिधी को दिखाना अनिवार्य था. वहीं निर्दलीय विधायकों द्वारा गुप्त मतदान पध्दति से वोट डाले गये. ऐसे में राज्यसभा चुनाव के समय सारा दारोमदार निर्दलीय विधायकों पर ही था और चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद सेना सांसद संजय राउत ने बाकायदा नाम लेते हुए कुछ निर्दलीय विधायकों पर शिवसेना व महाविकास आघाडी के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाया था. परंतू विधान परिषद का चुनाव पूरी तरह से गुप्त मतदान पध्दति के जरिये कराया जाता है. ऐसे में राजनीतिक दलों से वास्ता रखनेवाले विधायकों द्वारा भी क्रॉस वोटिंग किये जाने का खतरा है. जिसके चलते छोटे दलों के विधायकों व निर्दलीय विधायकों का एक-एक वोट अब बेहद कीमती हो गया है. ऐसे में राज्यसभा चुनाव के तुरंत पश्चात विधान परिषद का चुनाव होने से निर्दलीय विधायकों सहित छोटे दलों के विधायक जमकर खुश है, क्योंकि अमूमन किसी भी बात के लिए कोई पूछताछ नहीं करनेवाले राजनीतिक दलों द्वारा अब उन्हें अच्छा-खासा ‘भाव’ दिया जा रहा है. ज्ञात रहे कि, राज्यसभा व विधान परिषद के चुनाव सहित विश्वास मत प्रस्ताव के समय ही निर्दलियों सहित छोटे दलों के विधायकों का महत्व व जरूरत बढ जाते है और ऐसे समय इन विधायकों द्वारा अपनी पूरी ‘कीमत’ भी वसूल की जाती है.
ज्ञात रहे कि, जिस तरह राज्यसभा चुनाव में छठवीं सीट को जीतने हुए सत्ता पक्ष व विपक्ष के पास जीत हेतु आवश्यक कोटे के लिहाज से पर्याप्त वोट नहीं थे, वहीं स्थिति विधान परिषद की दसवीं सीट के लिए बनी हुई है और 10 सीटों के लिए होने जा रहे इस चुनाव हेतु मैदान में कुल 11 प्रत्याशी है, यानी राज्यसभा की छठवीं सीट की तरह विधान परिषद की दसवीं सीट पर महाविकास आघाडी और भाजपा के बीच काटे की टक्कर होना तय है. ऐसे में निर्दलियों सहित छोटे दलों के विधायकों को सत्ता पक्ष व विपक्ष की ओर से भरपूर तवज्जो मिल रही है.

* विधानसभा में दलिय व निर्दलीय विधायकों की संख्या
288 सीटोंवाली महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के 55, राकांपा के 53, कांग्रेस के 44 तथा भाजपा के 106 विधायक है. वहीं बहुजन विकास आघाडी के 3, समाजवादी पार्टी के 2, एमआईएम के 2, प्रहार जनशक्ति पार्टी के 2, राष्ट्रीय शेतकरी पार्टी के 1, राष्ट्रीय समाज पार्टी के 1, जनसुराज्य शक्ति पार्टी के 1, स्वाभिमानी पार्टी के 1, शेतकरी कामगार पार्टी के 1, माकपा के 1 व मनसे के 1 विधायक निर्वाचित है. इसके अलावा विधानसभा में निर्दलीय विधायकों की संख्या 13 है. वहीं शिवसेना विधायक रमेश लटके का निधन हो जाने के कारण एक सीट रिक्त पडी है.

* विधान परिषद में दिखाई दे सकती है निर्दलियों की नाराजगी
उल्लेखनीय है कि, राज्यसभा का चुनावी नतीजा घोषित होने के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने अपने दूसरे प्रत्याशी संजय पवार की हार का ठीकरा निर्दलीय विधायकों पर फोडा था और बाकायदा कुछ विधायकों का नाम लेकर महाविकास आघाडी के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाया था. जिस पर राज्यमंत्री बच्चु कडू सहित मोर्शी-वरूड निर्वाचन क्षेत्र के निर्दलीय विधायक देवेंद्र भूयार द्वारा अपनी आपत्ति दर्ज करायी गई थी. साथ ही इसे लेकर अपनी आपत्ति से महाविकास आघाडी के नेताओं को भी अवगत कराया गया था. ऐसे में बहुत संभव है कि, गुप्त मतदान पध्दति से होनेवाले विधान परिषद चुनाव में निर्दलीय विधायकों द्वारा अपनी नाराजगी को मतदान के जरिये दर्शाया जाये.

* दोनों पक्ष कर रहे अपनी-अपनी जीत के दावे
राज्यसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि, भाजपा के पांचों प्रत्याशी विधान परिषद के चुनाव में विजयी रहेंगे. वहीं कांग्रेस नेता भाई जगताप ने दावा किया कि, महाविकास आघाडी द्वारा राज्यसभा चुनाव के समय नियोजन को लेकर हुई गलतियों को दुरूस्त करते हुए इस बार सटिक नियोजन किया जायेगा, ताकि महाविकास आघाडी के सभी 6 प्रत्याशी चुनाव में जीत हासिल कर सके.

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