इंडसइंड बैंक को 2236 करोड का घाटा
अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत रहने की कबूली

मुंबई /दि.22– निजी क्षेत्र के देश के पांचवे नंबर पर रहे इंडसइंड बैंक में बुधवार को स्थापना के बाद के 18 साल में पहली बार तीन माह का घाटा दर्ज किया. हिसाब की खामियां उजागर होने से मुसीबत में फंसी इस बैंक में अपने कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा इस जालसाजी में बडी भूमिका निभाने और उसी का बैंक के वित्तीय कामकाज पर विपरित परिणाम होने की कबूली दी.
जनवरी से मार्च 2025 तक तीन माह में इंडसइंड बैंक ने 2236 करोड रुपए का घाटा दर्ज किया है. गत वर्ष इस तीन महिने में बैंक ने 2346 करोड रुपए का मुनाफा प्राप्त किया था. हिसाब में रही खामियों को देखते हुए बैंक को घाटा होना अपेक्षित रहा, तो भी अपेक्षा से काफी अधिक रहने की बात बुधवार को घोषित हुए प्रत्यक्ष नतीजों से दिखाई दी. लेखा विषयक विसंगती का बैंक ने ही किया खुलासा, इस निमित्त से थर्ड पार्टी लेखा परीक्षक संस्था की तरफ से लेखा परीक्षण और जांच शुरु होने के बाद मुख्याधिकारी सुमंत कठपालिया, उपमुख्याधिकारी अरुण खुराना द्वारा गत माह दिये गये इस्तीफे आदि इस संकट की श्रृंखला इंडसइंड बैंक बाबत शुरु है. बैंक ने 31 मार्च 2025 को समाप्त हुए तीन महीने/12 माह के वित्तीय लेखाजोखा को अंतिम रुप देते हुए लेखा परीक्षक संस्था द्वारा निर्धारित की खामियों का उचित हिसाब जोड दिया है और इसका परिणाम लेखाजोखा में पूरी तरह हुआ है, ऐसा इंडसइंड बैंक ने यह कामकाज घोषित करने के पूर्व शेयर बाजार को दिये ज्ञापन में दर्ज किया है. बैंक द्वारा हाल ही में वित्तीय वर्ष 2024-25 के तीन तीमाही में 674 करोड रुपए का ब्याज उत्पन्न गलती से दर्ज होने का खुलासा किया है. इसके पूर्व डेरीवेटीव पोर्टफोलिओ की अनियमितता बाबत 10 मार्च को दी गई कबूली के बाद सामने आने वाली यह दूसरी गलती है. डेरीवेटीव व्यवहार की अनियमितता से बैंक को करीबन 2 हजार करोड रुपए का आर्थिक नुकसान हो सकता है, ऐसा उस समय अनुमान लगाया गया था. बैंक की जालसाजी होने का और लेखा व आर्थिक रिपोर्ट की इस अनियमितता में कुद कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहने का संदेह संचालक मंडल को है, ऐसा इंडसइंड बैंक ने ज्ञापन में कहा है.