मुंबई/दि.12– विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना 1999 की घटना का आधार लेते हुए उद्धव ठाकरे का पार्टी प्रमुख पद अस्तित्व में न रहने की बात दर्ज की. इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी ठाकरे गुट ने की है. आगामी सप्ताह में इस विषय की याचिका दायर की जाने वाली है. 2019 में एनडीए की सरकार स्थापित करते समय पार्टी प्रमुख के रुप में उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिए समर्थन का पत्र तथा पार्टी प्रमुख के रुप में चुनाव तथा अन्य निर्णय बाबत ठाकरे के पार्टी प्रमुख के रुप में हस्ताक्षर के कागजपत्र न्यायालय के सामने प्रस्तुत किए जाने वाले है.
इस विषय पर कानूनी सलाह लेने के लिए शिवसेना ठाकरे गुट के नेता एड. अनिल परब दिल्ली पहुंच गए हैं. परब ने दिल्ली में विधितज्ञ एड. देवदत्त कामत समेत अन्य कानूनी विशेषज्ञों से भेंट की. उद्धव ठाकरे को पार्टी प्रमुख के रुप में अधिकार नहीं है, ऐसा नार्वेकर कहते हैं. फिर भाजपा के नेताओं ने 2019 में ठाकरे की भेंट लेकर गठबंधन की घोषणा क्यों की? 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी प्रमुख के रुप में ठाकरे के हस्ताक्षर से समर्थन पत्र लेकर सरकार स्थापित की. 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और सभी विधायक पार्टी के एबी फार्म पर लडे और चुनाव आयोग ने अनुमति क्यों दी, ऐसा सवाल एड. अनिल परब ने किया है. 2018 की घटना का बदलाव, कार्यकारिणी की बैठक और प्रस्ताव के संदर्भ में सभी कागजपत्र चुनाव आयोग को दिए हैं. इसकी रसीद भी चुनाव आयोग ने दी है, ऐसा रहते हुए अचानक यह घटना अवैध कैसे साबित हो सकती है, ऐसा परब ने कहा.