मुंबई/दि.10-कोल्हापुर में लोकसभा चुनाव के प्रचार दौरान किए भाषण में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अब राजा के बेटा ही राजा नहीं बनेगा, ऐसा कहा था. नरेंद्र मोदी के शपथविधि समारोह में बेटे श्रीकांत शिंदे के बजाय प्रतापराव जाधव को केंद्रीय मंत्रिपद का मौका देते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने अपना वादा पूरा कर दिखाया, ऐसी चर्चा राजनीतिक सर्कल में शुरु है. राजनीति में परिवारवाद की चर्चा हमेशा होती है. परिवारवाद को प्राथमिकता नहीं देंगे, ऐसा कहकर अपने बेटे को विधायकी, सांसदी के पहले ही टर्म में मंत्री बनाने के कई उदाहरण सामने है. लेकिन मौका रहने पर भी और तीसरी बार सांसद बनने पर भी सीएम शिंदे ने श्रीकांत शिंदे को मंत्रिपद की जिम्मेदारी नहीं दी तथा बुलडाणा के सांसद प्रतापराव जाधव जैसे आम शिवसैनिक को कैबिनेट मंत्रिपद का मान दिया है. मातोश्री को चुनौती देकर अलग होने के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को अपना परिवार माना है. सभी सांसद, विधायक और पदाधिकारी मेरे लिए समान है, ऐसा वे कहते है. प्रतापराव जाधव का नाम निश्चित कर उन्होंने यह प्रत्यक्ष कृति से कर दिखाया है. केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार स्थापित हुई है. राज्य में भाजपा के बाद शिवसेना शिंदे गुट ने सात सीटें जीती है. पार्टी को विजयी बनाने में एकनाथ शिंदे के साथ साथ श्रीकांत शिंदे की रणनीति महत्वपूर्ण रही है.