महाराष्ट्र

खुली मिठाईयों पर एक्सपायरी डेट डालना जरुरी

उच्च न्यायालय ने याचिका खारीज की

  • याचिकाकर्ता पर १ लाख रुपए का जुर्माना ठोका

मुंबई./दि. १४ – खुली मिठाईयों पर एक्सपायरी डेट होना ही चाहिए, यही ग्राहकों के हित में है, ऐसा स्पष्ट करते हुए एफएसएसएआई ने लिये निर्णय जनहित के है, उसके कारण इस निर्णय के विरोध में उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई जनहित याचिका खारीज कर दी. याचिकाकर्ता पर मुंबई उच्च न्यायालय (Mumbai High Court) ने १ लाख रुपए का जुर्माना भी ठोका. बीते १ अक्तूबर से राज्यभर की मिठाई की दुकान में खुली बिक्री की जाने वाली मिठाई कब तक खाने लायक है, इसकी तारीख लिखना बंधनकारक किया गया है. मुंबई के मिठाई वाले व्यापारी संगठना की ओर से इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति दिपांकर दत्ता ओैर न्यायमूर्ति गिरिष कुलकर्णी की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई ली गई. इस समय याचिका बेवजह दायर किये जाने पर अदालत ने किसी भी तरह की राहत देने से इन्कार कर दिया.
इसी तरह अदालत ने ठोकी जुर्माने की रकम कोविड केअर सहायता निधि में जमा करने के निर्देश याचिकाकर्ताओं को दिये है. बीते २४ फरवरी को इस बारे में नोटीस जारी करते हुए सभी व्यवसायियों को बताया गया कि खराब हुई मिठाईयों व खाद्यपदार्थ ग्राहकों को बेचने की शिकायत पर प्रशासन ने यह निर्णय लिया था. इस निर्णय के अनुसार मिठाई की दुकान में बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थ के ट्रेपर पैकेज फूड के अनुसार वे किस तारीख तक खाने लायक है, वह तारीख लिखना जरुरी होने का जाहीर किया गया था. मगर व्यवसायियों ने इस नोटीस को गंभीरता से नहीं लिया और ग्राहकों की शिकायतें प्राप्त होती रही है. इस कारण जनता के हित में २५ सितंबर को आदेश जारी कर बेस्ट बिफोर की तारीख सभी भारतीय पध्दति के खुले खाद्य पदार्थ पर लिखना १ अक्तूबर से सख्ती के साथ अमल करने का जारी किया. मगर शासन का यह निर्णय मनमानी होने का दावा करते हुए मुंबई के मिठाई विक्रेता संगठन ने वर्ष २००६ के अन्न सुरक्षा और दर्जा कानून अंतर्गत इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. मंगलवार की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस जनहित याचिका का दावा गलत है. जनता के हित के लिए उचित निर्णय को चुनौती दी गई, इसके कारण उसे खारीज करते हुए उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को १ लाख का जुर्माना भी ठोका है.

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