महाराष्ट्र

दिव्यांग छात्रों को मोबाइल देना संभव नहीं : हाईकोर्ट

मुंबई /दि.15 – राज्य के सामाजिक न्याय व विशेष सहकार्य विभाग ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि, दिव्यांग विद्यार्थियों को पढाई के लिए मोबाइल फोन देने के सुझाव पर विचार कर पाना संभव नहीं है. विभाग ने यह जवाब कोरोना संकट के बीच दिव्यांग व विशेष विद्यार्थियों को पढाई की पर्याप्त व्यवस्था करने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका के जवाब में हलफनामा दायर कर दिया है. ‘अनम प्रेम’ नामक गैर सरकारी संस्था ने इस बारे में जनहित याचिका दायर की है
पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय बारुंजेकर ने सुझाव दिया था कि, दिव्यांग विद्यार्थियों को पढाई के लिए मोबाइल फोन उपलब्ध कराया जाए. इससे उनकी समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि, मुंबई महानगर पालिका ने विद्यार्थियों को पढाई के लिए टैब उपलब्ध कराया है. इसी तरह दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए भी इंतजाम किया जाए. राज्यभर में दिव्यांग व विशेष बच्चों के कुल 963 स्कूल हैं.
दिव्यांगों की पढाई के सिलसिले में दिए गए कई सुझावों के जवाब में सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त सचिव ने कहा है कि मोबाइल फोन उपलब्ध कराने का मामला सरकारी खजाने व वित्तीय पहलू से जुडा है. इसलिए मोबाइल फोन उपलब्ध कराने के सुझाव पर विचार कर पाना संभव नहीं है. लेकिन विभाग बिजली व इंटरनेट की उपलब्धता के हिसाब से विद्यार्थियों की पढाई के लिए नर्देश जारी करेगा.
सामाजिक न्याय विभाग इस दिशा में कंपनियों से कार्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत विद्यार्थियों की पढाई से जुडी गतिविधियों में शामिल होने की अपील करेगा. यू ट्यूब, रेडियो चैनल व टीवी के माध्यम से भी बच्चों को शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराने की दिशा में भी कदम बढाए जाएंगे. हलफनामे के मुताबिक शिक्षकों को पढाई के लिए टेलिफोन करने व जरुरत पडने पर विद्यार्थियों के घर जाने के लिए भी कहा गया है. फिलहाल बच्चों को कोचिंग दे पाना संभव नहीं है. क्योंकि सारे बच्चे एक ही परिसर के नहीं है. हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई बुधवार को रखी है.

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