महाराष्ट्र

सिर्फ विवाह प्रमाणपत्र पर्याप्त सबूत नहीं : हाईकोर्ट

दूसरे विवाह के आरोपी को अदालत ने किया बरी

  • कहा- ऐसे मामलों में दूसरी पत्नी भी होती है पीडित

मुंबई/दि.२८ – हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ किया है कि दो लोगों के बीच हुए विवाह को साबित करने के लिए विवाह का प्रमाणपत्र पर्याप्त नहीं है. हाईकोर्ट ने अपने इस निर्णय में कहा कि पति के दूसरे विवाह से केवल पहली पत्नी ही पीडित के दायरे में नहीं आती है. सिर्फ उसे ही शिकायत का हक नहीं है. यह अधिकार दूसरी पत्नी को भी है. वह भी भारतीय दंड संहिता की धारा ४९४ के तहत मामला दर्ज करा सकती है.
न्यायमूर्ति के श्रीराम ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है. पहली पत्नी रहते दूसरी शादी करने के मामले में आरोपी रुपेश पवार (परिवर्तित) को सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया था. जबकि मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में पवार को दोषी ठहराया था और इसके साथ ही कहा था कि, पति के दूसरे विवाह से पहली पत्नी पीडित होती है. सिर्फ उसे ही शिकायत का अधिकार है. लेकिन न्यायमूर्ति ने इससे असहमति व्यक्त की. न्यायमूर्ति ने कहा कि, यदि कोई अपना पहला विवाह छुपाता है तो दूसरी पत्नी के साथ धोखाधडी करता है. इसलिए उसे भी शिकायत का अधिकार है.
मामले से जुडे तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि, दूसरे विवाह के बाद जब पवार घर में परंपरागत पूजा कर रहे थे. तभी एक महिला आई और उसने कहा कि, वह पवार की पहली पत्नी है. उसके दो बच्चे भी हैं. इसके बाद महिला ने पति के दूसरा विवाह करने पर पुलिस में मामला दर्ज कराया. पवार के साथ अपने विवाह को लेकर महिला ने विवाह प्रमाणपत्र भी दिखाया. किंतु न्यायमूर्ति ने विवाह को पंजीकृत करनेवाले अधिकार के बयान को पढने के बाद पाया कि, जब यह विवाह पंजीकृत हुआ था तो दुल्हा-दुल्हन साथ में नहीं आए थे. यह दर्शाता है कि, अभियोजन पक्ष आरोपी पर लगे आरोपों को पूरी तरह से संदेह के परे जाकर साबित नहीं कर पाया है. न्यायमूर्ति ने कहा कि, सिर्फ विवाह का प्रमाणपत्र ही विवाह को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है. क्योंकि इस मामले में शिकायत करने वाली महिला बाद में सत्र न्यायालय में अपने बयान से मुकर गई थी. इस लिहाज से इस मामले में पहले विवाह को छुपाने का प्रश्न ही नहीं उठता है.

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