महाराष्ट्र

30 लाख खर्च कर बनाया कोविड अस्पताल

चार दोस्तों ने कायम की मिसाल!

नई दिल्ली/दि. 30 – कोरोना की दूसरी लहर का असर महाराष्ट्र के बड़े-बड़े शहरों में तो तेजी से कम होता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन ग्रामीण भागों में अभी भी कोरोना का संकट कम नहीं हुआ है. ऐसे में इलाज के लिए कई बार मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं होते, दवाइयां उपलब्ध नहीं होतीं. ऐसे में सरकारी मदद का इंतजार किए बिना बीड के चार दोस्तों ने एक कोविड अस्पताल बनवा दिया है. यह अस्पताल अब ग्रामीण भाग के मरीजों के लिए संजीवनी की तरह काम कर रहा है. बीड के शिरूर में आइडियल इंगलिश स्कूल में यह अस्पताल तैयार किया गया है. इस अस्पताल में 50 बेड की सुविधा है. यहां एक साथ चार दोस्तों ने एक-साथ मिल कर यह अस्पताल शुरू करने का फैसला किया और चारों अपने मिशन में लग गए. चारों ने मिलकर करीब 30 लाख का खर्च उठाया और ग्रामीण इलाके के मरीजों के लिए अस्पताल शुरू करवा दिया. इन चार दोस्तों के नाम अभिजीत डुंगरवाल, भगवान सानप, प्रकाश देसरडा और गणेश देशपांडे है.

  • इलाज का खर्च, प्रशासन द्वारा तय खर्चे से कम

इन चारों दोस्तों ने ना फायदा ना नुकसान के मकसद से एक आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर अस्पताल बनाने का मिशन अपने हाथ मे लिया और अपने काम में लग पड़े. फिलहाल इस अस्पताल में 12 ऑक्सीजन बेड हैं. सौम्य लक्षण वाले 38 बेड की व्यवस्था है. इस अस्पताल में मरीजों से लिए जाने वाले शुल्क प्रशासन द्वारा तय किए गए शुल्क से भी कम हैं. साथ ही खाने की सुविधा और अन्य सुविधाएं मुफ्त दी जा रही हैं. यह जानकारी इन चारों दोस्तों में से एक भगवान सानप ने दी.

  • एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम

फिलहाल शहरी भागों की तुलना में ग्रामीण भागों में कोरोना का संक्रमण ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. कई सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं होने की वजह से मरीजों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ रहा है. ऐसे मरीजों के लिए यह अस्पताल एक आदर्श अस्पताल है. इस अस्पताल में 10 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम और बड़ी संख्या में प्रशिक्षित नर्सों की टीम काम कर रही है.

  • जीरो डेथ रेट हासिल करने में कामयाबी

इसीजी, एक्सरे, एंबुलेंस और ऑक्सीजन जैसी सभी व्यवस्थाएं इस अस्पताल में मौजूद हैं. इस अस्पताल को शुरू हुए एक महीना हो चुका है. यहां के डॉक्टरों को एक और खास कामयाबी हासिल हुई है, जिसका ज़िक्र करना ज़रूरी है. इस अस्पताल में मरीजों का डेथ रेट जीरो है. मरीजों को मौत के मुंह से बचाने में यहां के डॉक्टरों की कामयाबियों की चर्चा दूर-दूर तक हो रही है.

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