महाराष्ट्र

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी

राज्य में 676 में से केवल 170 तज्ञों का चयन

* गर्भवती महिला व बच्चों का हो रहा बुरा हाल
मुंबई/ दि.7 – प्रसूति से लेकर छोटे बच्चों का ध्यान रखने के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले तज्ञ डॉक्टर अब सरकारी अस्पताल में दवा आपूर्ति तक सीमित रहने की तस्वीर दिखाई दे रही है. राज्यभर के अस्पताल में महिला रोग तज्ञ, बालरोग तज्ञ, नेत्र शल्यचिकित्सक के करीब 75 प्रतिशत स्थान रिक्त है. कई अस्पताल में जैसे-तैसे 170 तज्ञों का चयन किया गया है. इसमें से कुछ तो महिनों महिने अस्पताल में झांककर नहीं देखते. इसके कारण गर्भवती महिला और छोटे बच्चों का इलाज के लिए बेहाल हो रहा है.
कोरोना महामारी के वक्त महिला रोग तज्ञ उपलब्ध न होने के कारण प्रसूति का मामला बिगडा हुआ है. गर्भवतियों को घर में ही रहने के कई उदाहरण सामने आये है. इस काल में महिला व बच्चों के स्वास्थ्य की ओर स्वास्थ्य विभाग का विशेष ध्यान नहीं रहा, ऐसी शिकायत मिली है. यह बात गंभीर याने ऐसी घटना को लेकर अदालत में याचिका भी दायर की गई है. स्वास्थ्य संचालक की यह जानकारी फरवरी 2022 में जाहीर हुई है. यह पद भरने के बारे में कार्रवाई की घोषणा केवल दस्तावेजों पर ही रह गई. महिला व छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की समस्या पर ध्यान रखकर उचित इलाज करने, सलाह देने के उद्देश्य से सरकारी अस्पताल में महिला रोग, बालरोग, नेत्र शल्यचिकित्सक की जरुरत रहती है. इसके अनुसार पिछले कुछ वर्षों में 676 तज्ञों की जगह निश्चित की गई, मगर इसमें से 506 जगह भरने के लिए स्वास्थ्य विभाग को वक्त ही नहीं मिला, ऐसी शिकायतें सामने आयी है.

1 हजार 174 माता मृत्यु
राज्य में दिसंबर 2021 अंत तक 1 हजार 164 माता मृत्यु हुई है. इस आंकडे में मुंबई, नागपुर समेत बीड, नांदेड, रायगड जिले का समावेश है. प्रसूति के पहले जांच लगातार न होने के कारण भी माता मृत्यु होने की चौकाने वाली बात सामने आयी है. इस घटना के बारे में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है.

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