महाराष्ट्र

दिव्यांग प्रमाणपत्र के ढाई लाख आवेदन प्रलंबित

तकनीकी खामियों के कारण परेशानी

दोबारा आवेदन, आधारकार्ड की सख्ती नहीं
पुणे-/ दि. 9 पुणे के सचिन ओव्हाड को पहले की एसएडीएम प्रणाली अंतर्गत वर्ष 2016 में 83 प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाणपत्र मिला था. केंद्र शासन द्बारा वर्ष 2018 में स्वावलंबन प्रणाली लाने के बाद सभी दिव्यांगोें को नए सिरे से प्रमाणपत्र प्रक्रिया पूर्ण करनी होगी, ऐसा आदेश जारी किया. इसके मुताबिक 40 वर्षीय ओव्हाड ने 5 मई 2019 को दिव्यांगता प्रमाणपत्र और वैश्विक कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. दो-ढाई वर्ष के बाद भी उनका आवेदन प्रलंबित है. हर समय जांच करने पर ‘तुम्हे मैसेज आएगा, इंतजार किजिए’ ऐसे टालमटोल जवाब दिए जाते है. इस कारण एसटी से सफर, शासकीय योजना से उन्हें वंचित रहना पड रहा है.
राज्य शासन द्बारा अचानक संगणकीय प्रणाली बदले जाने से और पहले की प्रणाली से प्रमाणपत्र मिले दिव्यांगों को दोबारा जांच करनी पडेगी, ऐसा आदेश जारी किए जाने से अनेक तकनीकी दुविधा निर्माण हुई है तथा ढाई लाख आवेदन प्रलंबित है. शुरूआत में दिव्यांग प्रमाणपत्र मैन्युअल प्रणाली से दिए जाते थे. पश्चात एसएडीएम इस संगणकीय प्रणाली की सहायता से प्रमाणपत्र प्रक्रिया शुरू की गई. शासन के वर्ष 2016 के कानून के मुताबिक और 17 प्रवर्ग का समावेश किया गया. पश्चात वर्ष 2018 में स्वावलंबन प्रणाली लाई गई. इसके पूर्व एसएडीएम अंतर्गत प्रमाणपत्र मिले दिव्यांगों को नई प्रणाली के तहत दोबारा जांच करने कहा गया. प्रत्यक्ष में दोबारा जांच की शर्त डालने से 2 से 3 साल से आवेदन प्रलंबित रहने की जानकारी दिव्यांग संगठना द्बारा दी गई है.

स्वावलंबन प्रणाली की त्रुटी
– आधारकार्ड सख्ती का न रहना
-आवेदन करने के बाद अन्य प्रक्रिया पूर्ण करने की कालावधि निश्चित न रहना
– एक व्यक्ति द्बारा 2 से 3 दफा आवेदन करने पर भी वह ऑनलाइन ्र प्रणाली में स्वीकारा जाना
– प्रमाणपत्र मिलने के लिए 6 माह के बाद मिलनेवाली अपाइनमेंट
– शासकीय यंत्रणा की उदासीनता
– प्रक्रिया में गतिशीलता न रहना

आंकडे क्या कहते है ?
राज्य में वर्ष 2018 से 2022 की कालावधि में 13 लाख 4 हजार 189 आवेदन प्राप्त हुए थे. इसमें से 8 लाख 40 हजार 646 लोगों को युडीआईडी कार्ड दिया गया. 2 लाख 30 हजार 322 आवेदन रद्द किए गए और 2 लाख 33 हजार 211 आवेदन प्रलंबित है. इसमें पुणे जिले से 94 हजार 249 आवेदन प्राप्त हुए है. इसमें से 52 हजार 322 लोगोें को युडीआईडी कार्ड मिले. 7259 आवेदन रद्द किए गए. 34 हजार 668 आवेदन प्रलंबित है. इस तरह कुल 37 प्रतिशत आवेदन प्रलंबित है.

आधार कार्ड की तरह यह कार्ड घरपोच मिले
प्रचलित दिव्यांग का प्रमाणपत्र व वैश्विक कार्ड वितरण प्रक्रिया में अनेक तकनीकी दुविधा है. इसके पूर्व एसएडीएम इस संगणकीय प्रणाली के जरिए दिए गए प्रमाणपत्रधारक दिव्यांगों को भी सुधारित प्रणाली में आवेदन करने पर फिर से जांच के लिए अस्पताल जाना पडता है. तैयार वैश्विक कार्ड पर दिव्यांग व्यक्ति का मोबाइल नंबर, पता न रहने से वह कार्ड दिव्यांगों तक नहीं पहुंचता. आधार कार्ड के मुताबिक यह कार्ड घरपोच मिलना चाहिए.
हरिदास शिंदे, अध्यक्ष संयुक्त दिव्यांग हक सुरक्षा समिति, पुणे

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