माफिया के चंगुल में फंसकर गंवाई जमीन
आदिवासियों की शिकायत पर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

मुंबई/दि.२२ – दबंगों द्बारा गरीबों की जमीन हडपने के किस्से उत्तर प्रदेश-बिहार में तो अवसर सुनने को मिल जाते हैं लेकिन भूमाफिया के पैर मुंबई और आसपास के इलाकों में भी फैल गए हैं. मुंबई के करीब स्थित पालघर जिले के चार आदिवासी इसके शिकार हुए हैं.
बिल्डर और उसके गुर्गे के बहकावे में आदिवासियों ने अपनी जमीन तो बेच दी. लेकिन इसके लिए उन्हें जिस २५ करोड रुपए का वादा किया गया था उसका भुगतान कभी नहीं किया गया. न्याय के लिए अब आदिवासी दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया तो वहां से दिए गए निर्देशों के बाद नालासोपारा पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ १६ सितंबर को एफआईआर तो दर्ज कर ली है लेकिन पुलिस ने मामले में एक महीने बाद भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है.
आदिवासियों की जमीन दूसरे लोगों को नहीं बेची जा सकती. इसलिए आरोपियों ने पहले आदिवासियों को मोटी रकम देने का वादा कर उनकी जमीन को आदिवासी से गैर आदिवासी घोषित कराया. फिर इसे खरीद लिया. लेकिन बदले में जो रकम आदिवासियों को देने का वादा किया गया था वह कभी नहीं दी गई. मामले में जिन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है उनमें बिल्डर प्रदीप गुप्ता, सुधाकर म्हात्रे और रमेश व्यास का नाम शामिल हैं.
ऐसे की ठगी : ठगी के शिकार आदिवासी सुनील पागी के मुताबिक म्हात्रे और व्यास ने उनसे और उनके परिवार के दूसरे सदस्यों से साल २००५-०६ के बीच नजदीकी बढाई. दोनों ने परिवार से वादा किया कि अगर जमीन को आदिवासी से गैरआदिवासी में बदल दे तो उन्हें २५ करोड मिल सकते है. आरोपियों के झांसे में आए सुनिल के साथ उनके परिवार के विष्णु पागी, रवि पागी, मधु पागी ने भी अपनी ५-५ एकड जमीन को राजस्व विभाग के नियमों के मुताबिक आदिवासी से गैर आदिवासी घोषित करा लिया.
पीडितों के बैंक खाते से लेनदेन करते रहे आरोपी
आरोपियों ने रकम देने के नाम पर जो बैंक खाते खुलवाए उसमें अपना मोबाइल नंबर दिया. आदिवासियों ने चेकबुक पर हस्ताक्षर करा दिए गए. आरोपियों ने आदिवासियों के नाम पर उनके खातों से पैसों का लेनदेन किया. लेकिन उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं हुई. परिवार ने आरोपियों के खिलाफ शिकायत की काफी कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली. आखिरकार एक सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट के आदेश पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज तो हुई है. लेकिन अभी परिवार को न्याय के लिए लंबी लडाई लडनी पडेगी.