पश्चिम विदर्भ में गत वर्ष 1051 किसान आत्महत्याएं
यवतमाल जिले में सर्वाधिक किसानों ने मौत को लगाया गले
* आसमानी व सुलतानी संकट के चलते हतबल हो रहे किसान
अमरावती/दि. 8– पश्चिम विदर्भ में किसान आत्महत्याओं का सत्र अब भी रुका नहीं है. वर्ष 2024 के 365 दिनों के दौरान पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के 1051 किसानों ने अपने ही हाथों मौत को गले लगाते हुए अपनी जान दी है. यानी रोजाना औसतन तीन किसानों द्वारा आत्महत्या की जा रही है. जिसके चलते समाजमन सुन्न हो गया है. वहीं किसी समय किसान आत्महत्याओं के लिए कुख्यात रहनेवाले यवतमाल जिले में एक बार फिर इस गंभीर समस्या ने सिर उठाना शुरु कर दिया है. यवतमाल जिले में विगत एक वर्ष के दौरान 344 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई. यह संख्या अमरावती संभाग के अन्य जिलों की तुलना में सबसे अधिक है.
उल्लेखनीय है कि, क्षेत्र के किसान आसमानी व सुलतानी संकटों के आगे हतबल महसूस कर रहे और उनकी समस्याओं सहित किसान आत्महत्या जैसे संवेदनशिल विषय को लेकर सरकार व प्रशासन बिलकुल भी गंभीर नहीं है. यहां तक कि, किसान आत्महत्यांओं को रोकने हेतु सरकार की ओर से गठित वसंतराव नाईक शेतकरी मिशन द्वारा भी कोई ठोस उपाययोजनाएं नहीं की जा रही. यही वजह है कि, केवल यवतमाल ही नहीं बल्कि वर्हाड के बुलढाणा व अमरावती जिले में भी धीरे-धीरे किसान आत्महत्याओं की संख्या बढने लगी है. संभाग में गत वर्ष जनवरी माह में 87, फरवरी माह में 94, मार्च माह में 106, अप्रैल माह में 94, मई माह में 81, जून माह में 71, जुलाई माह में 72, अगस्त माह में 87, सितंबर माह में 85, अक्तूबर माह में 109, नवंबर माह में 85 व दिसंबर माह में 80 ऐसे कुल 1051 किसानों द्वारा आत्महत्याएं की गई. जिनमें अमरावती जिले के 211, यवतमाल जिले के 344, अकोला जिले के 165, वाशिम जिले के 104 व बुलढाणा जिले के 287 किसानों का समावेश रहा.
बता दें कि, प्राकृतिक आपदा, फसलों की बर्बादी, बैंक व निजी साहूकारों का कर्ज, बकाया कर्ज हेतु तगादा, बच्चों की पढाई-लिखाई, बेटियों की शादी व परिजनों के इलाज जैसी वजहों को लेकर लगातार रहनेवाली आर्थिक तंगी के चलते पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के किसानों द्वारा अपने ही हाथों मौत को गले लगाया जा रहा है.
* 24 साल में 21 हजार से अधिक किसान आत्महत्याएं
संभाग के सभी जिलाधीश व तहसील कार्यालयों में किसान आत्महत्याओं की जानकारी जनवरी 2001 से दर्ज करनी शुरु की गई और तब से लेकर अब तक 21 हजार 125 किसान आत्महत्याएं हो चुकी है. जिसमें से केवल 9855 मामलों को ही सरकारी सहायता हेतु पात्र माना गया और 9683 मामलों में ही सरकारी सहायता प्रदान की गई. वहीं 10886 मामले अपात्र ठहराए गए. इसके अलावा विगत एक वर्ष के दौरान 404 मामले जांच हेतु प्रलंबित है.
* प्रति वर्ष एक हजार से अधिक किसान आत्महत्या
यदि अमरावती संभाग में विगत 10 वर्षों के आंकडों को देखा जाए तो प्रति वर्ष एक हजार से अधिक किसानों द्वारा खुद होकर मौत को गले लगाया जा रहा है. विगत 10 वर्षों के दौरान सन 2015 में 1184, सन 2016 में 1103, सन 2017 में 1066, सन 2018 में 1053, सन 2019 में 1055, सन 2020 में 1136, सन 2021 में 1183, सन 2022 में 1202, सन 2023 में 1158 तथा सन 2024 में 1051 किसान आत्महत्याएं हुई है.
* सरकार व प्रशासन हैं पूरी तरह असंवैदनशील
विशेष उल्लेखनीय है कि, किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने पर सरकार की ओर से आर्थिक सहायता देने हेतु करीब 20 वर्ष पहले किसानों के परिजनों को दिए जाने के लिए अनुदान राशि की घोषणा की गई थी. जिसमें इन दो दशकों के दौरान एक बार भी इजाफा नहीं किया गया. वहीं दूसरी ओर सिर पर चढे रहनेवाले कर्ज के बोज और लगातार घेरे रहनेवाली आर्थिक तंगी से परेशान कई किसानों द्वारा यही सोंचकर आत्महत्या कर ली जाती है कि, उनके मरने के बाद उनके परिवार को सरकार की ओर से कुछ सहायता तो मिलेगी. लेकिन ज्यादा तर किसान आत्महत्याओं के मामले सरकारी सहायता हेतु पात्र ही साबित नहीं होते और उनके परिजनों को एक रुपए की भी सहायता नहीं मिलती. वहीं दूसरी ओर सरकार एवं प्रशासन द्वारा भले ही किसान आत्महत्याओं के सत्र को रोकने के संदर्भ में लाख दावे किए जाए और गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष किसान आत्महत्याओं के आंकडे कम रहने को लेकर अपनी पीठ थपथपाई जाए. लेकिन हकिकत यह है कि, सरकार एवं प्रशासनिक अनदेखी व अनास्था के चलते संभाग में किसान आत्महत्याओं का सत्र बदस्तूर जारी है.
* वर्ष 2024 किसान आत्महत्याओं को जिलानिहाय आंकडे
जिला किसान आत्महत्या
अमरावती 211
यवतमाल 344
अकोला 165
वाशिम 104
बुलढाणा 227
कुल 1051
* वर्ष 2024 में किसान आत्महत्याओं के महिनानिहाय आंकडे
महिना किसान आत्महत्याएं
जनवरी 87
फरवरी 94
मार्च 106
अप्रैल 24
मई 81
जून 71
जुलाई 72
अगस्त 87
सितंबर 85
अक्तूबर 109
नवंबर 85
दिसंबर 80
कुल 1051
* विगत 10 वर्षों के दौरान हुई किसान आत्महत्याएं
वर्ष किसान आत्महत्या
2015 1184
2016 1103
2017 1066
2018 1053
2019 1055
2020 1136
2021 1183
2022 1202
2023 1158
2024 1051