बुलढाणा/दि.25– वर्ष 2024 यह चुनावी वर्ष साबित हुआ है. अब राज्य में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां जारी है. लोकतंत्र के इस उत्सव में राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि, नेता, पदाधिकारी, कार्यकर्ता काफी व्यस्त रहे है और अभी भी है. प्रशासन और विविध शासकीय यंत्रणा की भी यही अवस्था है. इस कारण किसान आत्महत्या उपेक्षा विषय हो गया है.
नैसर्गिक आपदा के कारण किसान हलाकान हो गए है. फसल अच्छी रहते और कटाई करने का समय आते ही मूसलाधार बारिश से वह बर्बाद हो जाना यह हर वर्ष का सिलसिला हो गया है. इस वर्ष बेमौसम बारिश ने कहर ढा दिया. अक्तूंबर के पूर्व अथवा वापसी की बारिश में करीबन 40 राजस्व मंडल में हुई अतिवृष्टि और डेढ लाख हेक्टेअर क्षेत्र की फसले नष्ट हो गई, यह इसका उदाहरण है. शासन-प्रशासन और नैसर्गिक आपदा से किसान परेशान हो गए है. कृषि प्रधान बुलढाणा जिले में इस बार के लोकतंत्र के उत्सव में भी किसान आत्महत्या की श्रृंखला कायम है. चालू वर्ष में अक्तूबर के पहले सप्ताह तक 177 किसानों की आत्महत्या दर्ज है. लोकसभा के मुंआने पर मार्च माह में सर्वाधिक यानी 32 किसानों ने फांसी लगाकर अथवा जहर गटककर आत्महत्या कर ली. हर दिन एक आत्महत्या यह मार्च 2024 का औसत रहा है. इसके पूर्व जनवरी में 19 तथा फरवरी में 21 किसानों ने आत्महत्या की है. अप्रैल माह में 26, मई माह में 20 तथा जून माह में 14 आत्महत्या दर्ज हुई. जुलाई माह में 22, अगस्त माह में 15 और सितंबर माह में 8 किसानों ने खुदकुशी की. अक्तूबर के पहले सप्ताह में कोई किसान आत्महत्या दर्ज नहीं है.
* एक साल में 177 आत्महत्या दर्ज, 48 पात्र
एक साल में 177 आत्महत्या दर्ज हुई है. यंत्रणा के लिए यह केवल प्रकरण है. लेकिन इसमें से 48 प्रकरण सहायता के लिए पात्र ठहराए गए है. शेष 88 आत्महत्या अपात्र ठहराकर उनके परिवारों को नुकसान भरपाई नहीं दी गई है. इस कारण उनकी आत्महत्या उपेक्षित साबित हुई है.
* योजना की बौछार और मिट्टीमोल भाव
सोयाबीन को प्रति क्विंटल 4 हजार 500 रुपए भाव मिले. लेकिन एक एकड की कटाई के लिए किसानों को 4 हजार रुपए गिनने पड रहे है. महिला सीधे मुख्यमंत्री की लाडली बहने होने से पुरुषों को सम्मान मिल रहा है और राशन भी निशुल्क मिल रहा है. इस कारण फसलों की कटाई के लिए मजदूर मिलना कठिन हो गया. इस कारण ठेकेदारों की मध्यस्थता से मध्य प्रदेश के मजदूरों की सहायता से कटाई करने की नौबत किसानों पर आन पडी है. फसल की कटाई को प्रति एकड 4 हजार रुपए, सफाई के लिए एक बोरे के पीछे 300 से 400 रुपए भाव है. सोयाबीन को 4300 से 4500 रुपए प्रति क्विंटल भाव मिल रहे है. इस कारण योजनाओं की बौछार जारी रहते किसानों का संकट समाप्त नहीं हुआ है.