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धारणी/ दि.1 – बीते सात दिन पूर्व मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट की गणना देश के 6 अव्वल टायगर प्रोजेक्ट में की गई है. इतना ही नहीं तो विश्व स्तर पर मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट को मान्यता मिली है, ऐसी खुश खबरी के साथ एक और अच्छी खबर है. मध्यप्रदेश के सतपुड टायगर रिजर्व से चलते हुए एक शेरनी मेलघाट पहुंची है. वह शेरनी गर्भवती होने के कारण जल्द मिलेगी अच्छी खबर मिलेगी. इससे मेलघाट में बाघों की संख्या और बढने वाली है.
पिछले वर्ष सतपुडा-मेलघाट कॉरिडोर के जंगल में घुमते हुए पट्टेदार शेरनी मेलघाट के वन्यजीव विभाग में पहुंची थी. उस समय उसके गले में कॉलर आईडी बहुत अधिक कस जाने से गंभीर जानकारी सामने आने के साथ ही शेरनी बीमार होने की चर्चा की. जिससे महाराष्ट्र सरकार चिंता में पड गई थी. परंतु मेलघाट के सिपना व गुगामल वन्य जीव विभाग के अंतर्गत आने वाले विभाग में वह शेरनी सही सलामत होने की पुष्टी की गई थी. उस खबर के साथ उसके फोटो भी जारी किये गए थे. फोटो के आधार पर वह शेरनी गर्भवती होने का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन अब तक टायगर प्रोजेेक्ट की ओर से इस बात की पुष्टी नहीं की गई. वह शेरनी गर्भवती होने का दावा वन्यजीव प्रेम व्यक्त कर रहे है.
शेरनी के गले में कॉलर आईडी लगा है
मध्यप्रदेश के बैतुल जिला मेलघाट के वन क्षेत्र से सटा हुआ है. तापी पार्क के जंगल में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान व केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के प्रयास से सतपुडा-मेलघाट कॉरिडोर निर्माण किया जा रहा है. धारणी और चिखलदरा तहसील की सीमा पर सिपना व गुगामल वन्यजीव विभाग के घने व मानवीय हस्तक्षेप से दूर जंगल में मध्यप्रदेश की कॉलर आईडी लगी शेरनी स्वस्थ्य व सकुशल होने के प्रमाण फोटो के जरिये प्राप्त हुए है. मेलघाट के जंगल व मध्यप्रदेश के सतपुडा टागर रिजर्व वनक्षेत्र का मौसम तथा तापमान भी एक जैसा है. जंगल का प्रकार तथा वन संपदा भी एक जैसी है. दोनों क्षेत्रों में एक जैसे वन्य प्राणी है. खंडवा-बुर्हानपुर, बैतुल के जंगल से मेलघाट और मेलघाट से सतपुडा रिजर्व में वन्य प्राणी इधर से उधर विचरण करते रहते है. मेलघाट में कॉलर आईडी वाली शेरनी पूरी तरह से रम गई है. उसकी प्राकृतिक व स्वाभाविक रहने वाली हलचले कैमेरे में कैद की गई है. वह शेरनी मेलघाट के वातावरण में घुलमिल गई है. अन्य बाघों के साथ हुए मिलन की वजह से वह जल्द ही मेलघाट टायगर रिजर्व नए शावकों के साथ बाघों की संख्या बढाएगी.