महाराष्ट्र

बच्चे का मां के साथ रहना उसके कल्याण व विकास के लिए अनुकूल-हाईकोर्ट

बच्चे की कस्टडी के लिए पिता ने की थी याचिका दायर

मुंबई/दि.1 – पांच साल की उम्र में एक बच्चे को जो प्यार-दुलार व सुरक्षा एक मां दे सकती है, वैसा प्रेम पिता से मिल पाना अपेक्षित नहीं है. इसलिए बच्चे का मां के साथ रहना उसके कल्याण व विकास के लिए नैसर्गिक रूप से अधिक अनुकूल है. यह कहते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपने से इन्कार कर दिया है.
इस दौरान हाईकोर्ट ने पिता के उस तर्क को अस्वीकार कर दिया कि मां फिल्मों में काम करने में अधिक व्यस्त रहती है. इसलिए वह बच्चे की परवरिश ठीक ढंग से नहीं कर पाएंगी. जबकि उसके पास अधिक समय रहता है. इसलिए वह बच्चे पर ज्यादा ध्यान दे सकता है. हाईकोर्ट ने बच्चें के पिता ने याचिका दायर कर बच्चे को उसे सौंपने की मांग की थी. न्यायमूर्ति एस. एस. शिंदे व न्यायमूर्ति एन. जे. जमादार की खंडपीठ ने कहा कि नाबालिग बच्चे के कल्याण से जुडा मुद्दा सिर्फ एक अभिभावक की कामकाजी व्यस्तता व दूसरे अभिभावक के पास अधिक समय होने के आधार पर नहीं तय किया जा सकता.

पिता को रोजाना दो घंटे ऑनलाईन मिलने देने के निर्देश

इस दौरान खंडपीठ ने माना कि बच्चे को अपने माता-पिता दोनों के स्नेह की जरूरत है. इसलिए पिता को भी बच्चे से मिलने का अधिकार है. खंडपीठ ने फिल्म अभिनेत्री मां को निर्देश दिया है कि वह रोजाना बच्चे को आधे घंटे पिता से ऑनलाईन और सप्ताह में दो दिन प्रत्यक्ष रूप से मिलने दे. खंडपीठ ने कहा कि हम अपेक्षा करते है कि पिता और फिल्म इंडस्ट्री में काम करनेवाली मां वास्तविक जीवन में अपने बच्चे का ख्याल रखेंगी.

Related Articles

Back to top button