बजट में महाराष्ट्र को मिले हैं 3 लाख 5 हजार 611 करोड
विपक्ष के नेता फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने आघाडी के आरोपों का दिया जवाब
मुंबई/दि.11 – केंद्र सरकार के बजट में महाराष्ट्र के साथ सौतेले व्यवहार के आरोपों पर विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेेंद्र फडणवीस ने आंकडों के साथ जवाब दिया है. बुधवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में फडणवीस ने कहा कि केंद्रीय बजट में महाराष्ट्र के लिए मंजूर परियोजनाओं और अन्य प्रावधानों को मिलाकर करीब 3 लाख 5 हजार 611 करोड रूपए आवंटित किए गए है. केंद्र सरकार, सडक, रेलवे, मेट्रो, ब्रिज के निर्माण के लिए आधारभूत ढांचे के क्षेत्र में बडे पैमाने पर निवेश कर रही है.
राज्य सरकार से बस इतनी अपेक्षा है कि मुंबई मेट्रो 3 परियोजना की तरह बाकी परियोजनाओं को न रोके. राज्य सरकार केंद्रीय बजट में प्रावधान की गई राशि को अधिक से अधिक खर्च करने का प्रयास करे. फडणवीस ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के अध्ययन के लिए उनके विशेषज्ञों ने दस्तावेज तैयार नहीं किया होगा तो मैं मुख्यमंत्री को अध्ययन के लिए सभी जानकारी भेज दूंगा. फडणवीस ने बताया कि, बजट में दमणगंगा-पिंजाल लिंक परियोजना के लिए 3008 करोड रूपए, हर घर नल का पानी के लिए 1133 करोड, विदर्भ, मराठवाडा और शेष महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित जिलों में सिंचाई सुविधा के लिए 400 करोड रूपए, किसान सम्मान निधि के लिए 6823.81 करोड रूपए, रेलवे की परियोजनाओं के लिए 1,33,255 करोड रूपए, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 7897 करोड रूपए सहित अन्य परियोजनाओं के लिए प्रावधान किए गए है.
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होने के संकेत
फडणवीस ने कहा कि प्रदेश में विधानसभा के अध्यक्ष पद का चुनाव सर्वसहमति से करने की परंपरा रही है. लेकिन राज्य सरकार विपक्ष से संवाद नहीं करती है. सदन में विपक्ष के अधिकारों का हनन होता है. इसलिए भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ बैठकर अपनी नीति तय करेंगे. फडणवीस ने संकेत दिए हैं कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होगा.
मनसे ने नहीं बदली भूमिका, इसलिए गठबंधन पर चर्चा नहीं
फडणवीस ने कहा कि मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने हिंदुत्व की भूमिका स्वीकार की है. लेकिन मनसे और भाजपा के विचारों में मुलभुत फर्क है. भाजपा को मराठी भाषियों को न्याय देते समय गैर मराठी भाषी पर अन्याय करने की भुमिका स्वीकार नहीं है. भाजपा की भूमिका मराठी भाषियों को न्याय देते समय गैर मराठी भाषियों को भी न्याय देने की है. मनसे ने अब तक यह भुमिका स्वीकार नहीं की है.