* बच्चू कडू आंदोलन की तैयारी में
यवतमाल/दि.23-राज्य में लाखों की संख्या में दिव्यांग है. दिव्यांग लाभार्थी भी अच्छे से जीवन जीएं, उनके अधिकारों की सुरक्षा होने के लिए सरकार ने कई योजनाओं की घोषणा की है, परंतु वास्तव में इन योजना का लाभ दिव्यांगों को नहीं मिलने की जानकारी सामने आई है. इतनाही नहीं तो, अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में सबसे कम मानधन देने भी भारी अनियमितता है. महाराष्ट्र में केवल 1 हजार 500 रुपए मानधन के रूप में दिए जाते है. स्थानीय निकाय संस्थाओं ने पांच प्रतिशत निधि दिव्यांगों के लिए खर्च करें, ऐसा शासन आदेश रहने पर भी इस आदेश का अधिकांश संस्थाओं द्वारा अमल नहीं किया जाता. दिव्यांगों के लिए जिलास्तर पर स्वतंत्र कार्यालय नहीं. एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद पर रहते दौरान राज्य में देश का पहला दिव्यांग मंत्रालय स्थापित किया गया. इस मंत्रालय के माध्यम से दिव्यांगों के लिए शुरु योजना गति से चलाई जाएगी, दिव्यांगों का जीवन आसान होगा, ऐसी अपेक्षा थी. परंतु मंत्रालय का कारभार और इस मंत्रालय के विषय में सरकारी अनास्था को देखते हुए इस मंत्रालय के अध्यक्ष ने ही इस्तीफा दे दिया. उन्होंने दिव्यांगों के सर्वांगीण विकास के लिए इस मंत्रालय काव काम शुरु ही नहीं होने की बात उजागर की. विशेष मंत्रालय दिव्यांगों का कल्याण नहीं कर सकता, इसलिए इस पद से दूर होने की घोषणा अध्यक्ष ने की थी. अब वे आंदोलन की तैयारी में है.
दिव्यांगों को मिलने वाला मानधन
आंध्र प्रदेश 6 हजार
दिल्ली 5 हजार
गोवा 4 हजार
कर्नाटक 2 हजार
महाराष्ट्र डेढ हजार
राजस्थान, केरल सहित अन्य अनेक राज्य में दिव्यांगों को अच्छा मानधन मिलता है. उसकी तुलना में महाराष्ट्र के दिव्यांगों को आधा मानधन भी नहीं मिलता. स्थानीय निकाय संस्थाएं भी पांच प्रतिशत निधि खर्च नहीं करती. दिव्यांगों के प्रति सरकार की नीति उदासीन है. इसलिए संपूर्ण राज्य में जिलास्तर पर 26 जनवरी को करो या मरो, आंदोलन करेंगे. इसके बाद भी अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो राज्यस्तर पर दिव्यांगों के अधिकार के लिए आंदोलन को तेज करेंगे.
-बच्चू कडू, पूर्व अध्यक्ष,
दिव्यांग कल्याण विभाग
राज्य सरकार की अनदेखी
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार महाराष्ट्र के दिव्यांगों की संख्या 29 लाख 63 हजार 392 यानी कुल जनसंख्या के 2.63 प्रतिशत इतनी है. इस संख्या में 2025 तक और भी बढोतरी हुई है, परंतु दिव्यांगों की न्यायिक मांगों की ओर महाराष्ट्र सरकार की पूर्णत: अनेदखी है.
-संदीप कोल्हे, जिला अध्यक्ष,
प्रहार दिव्यांग क्रांति संगठन, यवतमाल