महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में बढ़ती जा रही है सोयाबीन की कीमत

फिर भी रोक-रोक कर मंडी में उपज ला रहे किसान

मुंबई/दि.२८-महाराष्ट्र में सोयाबीन की कीमतों में इजाफा हो रहा है. किसानों को उम्मीद है कि आने वाले समय में सोयाबीन का भाव 8000 से 10000 रुपए क्विंटल तक पहुंच सकता है. पहले सोयाबीन की कीमत में भारी गिरावट देखने को मिली थी. इस कारण किसान अपनी उपज को मंडी लेकर नहीं आ रहे थे. अब दाम बढ़ने के बाद आवक थोड़ी बढ़ी है, लेकिन विशेष बढ़ोतरी नहीं हुई है. किसान रोक-रोक कर मंडी में उपज ला रहे हैं और भाव के और बढ़ने के इंतजार में हैं.

शनिवार को महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन का औसत भाव 7,150 रुपए प्रति क्विंटल था. किसानों को उम्मीद है कि कीमतें 9,000 रुपए से 10,000 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ जाएंगी. राज्य के कृषि मंत्री दादासाहेब भूसे ने कृषि केंद्रों को मंडी में सोयाबीन की बिक्री की निगरानी करने का निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों का शोषण न हो या कम कीमत पर फसल को बेचने के लिए मजबूर न किया जाए. 2021-22 सीजन के लिए केंद्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य  3950 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है.

8000 तक पहुंच गए हैं दाम

एक रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को विदर्भ के अकोला मंडी में किसानों को सोयाबीन के लिए 8,000 रुपए प्रति क्विंटल मिले. मराठवाड़ा के लातूर में सोयाबीन की कीमत 6,700 रुपए प्रति क्विंटल रही जबकि वाशिम मंडी में सबसे कम 6,000 रुपए प्रति क्विंटल भाव थे. हिंगोली में 6,200 रुपए प्रति क्विंटल और यवतमाल में 6,300 रुपए प्रति क्विंटल की दर रही.

बढ़ते भाव को देखते हुए विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र के 40 से 45 लाख किसान अधिक कीमतों की उम्मीद कर रहे हैं. नतीजतन वे मंडियों में अपने पूरे स्टॉक को लाने से बच रहे हैं.

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी ने कहा कि केंद्र के 12 लाख मीट्रिक टन जीएम सोयामील आयात करने के फैसले से सोयाबीन की कीमतों में अचानक गिरावट आई है. इसका घरेलू कीमतों और किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. उन्होंने बताया कि अगस्त में सोयाबीन की कीमत 8,800 रुपए प्रति क्विंटल थी. केंद्र के फैसले के बाद यह घटकर 4,500 रुपए प्रति क्विंटल रह गई.

4 लाख हेक्टेयर बढ़ा है रकबा

पिछले तीन महीनों में सोयाबीन की कीमतों में सुधार हुआ है, लेकिन यह स्थिर नहीं है. पिछले साल इस नगदी फसल के भाव ने लातूर और अकोला में 10,000 रुपए तो नांदेड़ में 11,000 रुपए प्रति क्विंटल का रिकॉर्ड बनाया था. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल रहित सोया केक और तेल की बढ़ती मांग ने किसानों को सोयाबीन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है. यहीं कारण है कि रकबा में बढ़ोतरी हुई है. इस बार किसानों ने पिछले साल के मुकाबले 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र अधिक में सोयाबीन की खेती की थी.

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