महाराष्ट्र: स्पीकर ने शिंदे कैंप को माना असली शिवसेना
जानें- अब उद्धव गुट के पास क्या है रास्ता
नई दिल्ली/दि.10- उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है. शिंदे गुट महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर की परीक्षा में पास हो गया है. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है. इसके साथ ही एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों की सदस्यता रद्द नहीं की गई है. एकनाथ शिंदे ही महाराष्ट्र के सीएम बने रहेंगे. स्पीकर नार्वेकर का दावा है कि संविधान, कानून और चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है.
चुनाव आयोग पहले ही शिंदे कैंप को असली शिवसेना के तौर पर चुनाव चिह्न ’तीर-कमान’ सौंप चुका है. अब ठाकरे गुट को स्पीकर से भी निराशा हाथ लगी है, जिसके चलते उनकी पार्टी के टूटने की आशंका है. कारण, स्पीकर के फैसले के बाद कुछ विधायक उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं. इतना ही नहीं, उद्धव ठाकरे के सामने आने वाले चुनाव में संगठन के सामने खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी.
अब सवाल उठता है विधानसभा स्पीकर से निराशा हाथ लगने के बाद उद्धव ठाकरे के पास क्या रास्ता बचा है. दरअसल, उद्धव ठाकरे गुट के पास सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्त बचा है. ठाकरे ने खुद ही पहले ऐलान कर दिया था कि स्पीकर का फैसला पक्ष में नहीं आता है तो वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे और विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को चुनौती देंगे. माना जा रहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करेंगे. हालांकि इस पर देश की सर्वोच्च कोर्ट क्या फैसला देती है और उस फैसले से ठाकरे को कितना लाभ होगा, यह तो समय ही बताएगा.
विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने फैसले का आधार बताते हुए कहा कि उन्होंने शिवसेना का संविधान पढ़ा गया है. असली मुद्दा ये था कि असली शिवसेना कौन है. सुप्रीम कोर्ट के फैसला का जिक्र भी उन्होंने किया. इसमें कहा गया था कि विधायकों की अयोग्यता पर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर फैसला करेंगे. उन्होंने शिवसेना के 1999 में बने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि मेरा अधिकार क्षेत्र सीमित है, मैं चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के बाहर नहीं जा सकता.
’शिेंदे को हटाने का अधिकार उद्धव ठाकरे के पास नहीं’
उन्होंने कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता है. यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. रिकॉर्ड के मुताबिक मैंने वैध संविधान के रूप में शिवसेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है. एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव ठाकरे के पास नहीं है. उनके पास शिवसेना के किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार नहीं है.
डेढ साल पहले शिंदे ने की थी बगावत
उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल पहले 20 जून 2022 को एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 39 विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी और बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली थी. शिंदे को सीएम बनाया गया था. देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने थे. उद्धव पक्ष ने दल-बदल कानून के तहत पहले स्पीकर को नोटिस दिया. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं. इस बीच असली शिवसेना को लेकर भी दोनों गुटों में विवाद जारी है.
उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है. शिंदे गुट महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर की परीक्षा में पास हो गया है. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है. इसके साथ ही एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों की सदस्यता रद्द नहीं की गई है. एकनाथ शिंदे ही महाराष्ट्र के सीएम बने रहेंगे. स्पीकर नार्वेकर का दावा है कि संविधान, कानून और चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है.
चुनाव आयोग पहले ही शिंदे कैंप को असली शिवसेना के तौर पर चुनाव चिह्न ’तीर-कमान’ सौंप चुका है. अब ठाकरे गुट को स्पीकर से भी निराशा हाथ लगी है, जिसके चलते उनकी पार्टी के टूटने की आशंका है. कारण, स्पीकर के फैसले के बाद कुछ विधायक उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं. इतना ही नहीं, उद्धव ठाकरे के सामने आने वाले चुनाव में संगठन के सामने खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी.
अब सवाल उठता है विधानसभा स्पीकर से निराशा हाथ लगने के बाद उद्धव ठाकरे के पास क्या रास्ता बचा है. दरअसल, उद्धव ठाकरे गुट के पास सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्त बचा है. ठाकरे ने खुद ही पहले ऐलान कर दिया था कि स्पीकर का फैसला पक्ष में नहीं आता है तो वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे और विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को चुनौती देंगे. माना जा रहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करेंगे. हालांकि इस पर देश की सर्वोच्च कोर्ट क्या फैसला देती है और उस फैसले से ठाकरे को कितना लाभ होगा, यह तो समय ही बताएगा.
विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने फैसले का आधार बताते हुए कहा कि उन्होंने शिवसेना का संविधान पढ़ा गया है. असली मुद्दा ये था कि असली शिवसेना कौन है. सुप्रीम कोर्ट के फैसला का जिक्र भी उन्होंने किया. इसमें कहा गया था कि विधायकों की अयोग्यता पर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर फैसला करेंगे. उन्होंने शिवसेना के 1999 में बने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि मेरा अधिकार क्षेत्र सीमित है, मैं चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के बाहर नहीं जा सकता.
’शिेंदे को हटाने का अधिकार उद्धव ठाकरे के पास नहीं’
उन्होंने कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता है. यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. रिकॉर्ड के मुताबिक मैंने वैध संविधान के रूप में शिवसेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है. एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव ठाकरे के पास नहीं है. उनके पास शिवसेना के किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार नहीं है.
डेढ साल पहले शिंदे ने की थी बगावत
उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल पहले 20 जून 2022 को एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 39 विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी और बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली थी. शिंदे को सीएम बनाया गया था. देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने थे. उद्धव पक्ष ने दल-बदल कानून के तहत पहले स्पीकर को नोटिस दिया. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं. इस बीच असली शिवसेना को लेकर भी दोनों गुटों में विवाद जारी है.