सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र अव्वल, 45.35 प्रतिशत हिस्सेदारी
39.83 फीसदी ही रहा मध्य प्रदेश का योगदान
मुंबई/दि.20- देश के कुल खाद्य तेल उत्पादन में सोयाबीन का योगदान 22 प्रतिशत है. कुल उत्पादकता में मध्य प्रदेश का योगदान सबसे ज्यादा रहता था. लेकिन यदि प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के आधार पर देखा जाए तो महाराष्ट्र आगे रहता था. अब सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता और कुल हिस्सेदारी, दोनों में महाराष्ट्र आगे हो गया है. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री शंकर ठक्कर ने बताया कि, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की रिपोर्ट में यह बात समाने आई है कि देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी अब 45.35 फीसदी हो गई है. जबकि मध्य प्रदेश का योगदान अब सिर्फ 39.93 फीसद ही रह गया है. यह आंकडा 2021-22 का है, जबकि 2017-18 में कुल सोयाबीन उत्पादन में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 53.68 फीसदी थी और महाराष्ट्र की सिर्फ 33.51 फीसदी.
* रकबा बढा रहे किसान
महाराष्ट्र के किसान कपास की खेती कम करके अब सोयाबीन को बढावा दे रहे हैं. सोयाबीन की खेती में लागत कम है. सोयाबीन की फसल 100 दिन में तैयार हो जाती है. जबकि कपास तैयार होने में 150 दिन लग जाते है. सोयाबीन कम पानी वाली फसल है. भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के डायरेक्टर के मुताबिक वर्तमान में सोयाबीन देश में कुल तिलहन फसलों का 42 प्रतिशत और कुल खाद्य तेल उत्पादन में 22 प्रतशित दे रहा है. जनसंख्या में वृद्धि के साथ खाद्य तेल की मांग बढ रही है और विभिन्न तिलहनी फसलों व्दारा 40 फीसदी मांग को पूरा किया जा रहा है. खाद्य तेलों की बाकी 60 प्रतिशत मांग आयात व्दारा पूरी की जाती है. मध्य प्रदेश में प्रति हेक्टेयर उपज 11 से 11.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. महाराष्ट्र में यह 14 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. साल 2022-23 में भारत में 12.07 मिलियन हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती हुई है.उत्पादन 13.98 मिलियन रहा. औसत उपज 1158 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही. यह खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है.
* बेमौसम बारिश का सोयाबीन पर कम असर
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ, उत्तरी कर्नाटक, गुजरात ओर उत्तरी तेलंगाना में इसकी खेती हो रही है. सोयाबीन प्रोटीन एवं तेल की भरपूर मात्रा की वजह से दुनिया भर में खाद्य तेल एवं पौष्टिक आहार माना जाता है. शंकर ठक्कर के मुताबिक इस वर्ष महाराष्ट्र में उत्पादन बढाने की कुछ बडी वजह है. जिसमें पिछले दो वर्षो में सोयाबीन के दाम आसमान पर थे. इसलिए किसानों ने सोयाबीन की खेती ज्यादा की है. दूसरी वजह पिछले कुछ वर्षो में महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश होती है जो अन्य फसलों के लिए ज्यादा नुकसान करती है. जबकि सोयाबीन पर उतना असर नहीं होता. महाराष्ट्र में जहां पर सोयाबीन की ज्यादा खेती हो रही है. वहां पर बुहुत सारी मिले लग चुकी है. यानी किसानों को अपनी उपज बेचने में दिक्कत का सामना नहीं करना पडता है. सोयाबीन की खेती के लिए कम पानी लगता है यह भी एक बडी वजह है जो महाराष्ट्र के लिए अनुकूल है.