मार्च में ही होंगे मनपा व जिप के चुनाव
17 जनवरी की सुनवाई के बाद आयोग ले सकता है निर्णय
मुंबई/दि.11- राज्य की 14 महानगरपालिकाओं एवं 26 जिला परिषदों के आम चुनाव आगामी मार्च माह में ही होने के पूरे आसार दिखाई दे रहे है. हालांकि आगामी 17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होनेवाली सुनवाई के बाद राज्य निर्वाचन आयोग इस पर अपनी भूमिका स्पष्ट करेगा.
बता दें कि, वर्ष 2017 में 16 फरवरी को राज्य की महानगरपालिकाओं व जिला परिषदों के लिए मतदान हुआ था. वहीं अब अपना कार्यकाल खत्म करने जा रही अथवा खत्म कर चुकी 14 महानगरपालिकाओं व 26 जिला परिषदों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई है. जिसके तहत विगत वर्ष के नवंबर माह से प्रभाग रचना का प्रारूप तय करने का काम शुरू किया गया और इस समय संशोधित प्रारूप को अंतिम रूप देने का काम भी चल रहा है. किंतु इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी संवर्ग के राजनीतिक आरक्षण पर स्थगनादेश जारी कर दिया और ओबीसी आरक्षण के बिना स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव करवाने का निर्देश जारी किया. जिसके चलते कई नगर पंचायतों के आम चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना ही करवाने पडे. जिसके तहत ओबीसी आरक्षित सीटों को सर्वसामान्य प्रवर्ग में ग्राह्य मानते हुए वहां पर चुनाव करवाये जा रहे है. इसी दौरान अब आगामी 17 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुनवाई होनेवाली है. जिसके बाद महानगरपालिका व जिला परिषद के चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है.
* फरवरी माह में निर्वाचन कार्यक्रम घोषित होने की उम्मीद
जनवरी माह के अंत तक प्रभाग रचना प्रारूप का दूसरा राउंड खत्म हो जायेगा. ऐसे में यदि फरवरी माह में भी चुनावी कार्यक्रम की घोषणा होती है, तो मार्च माह में स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव कराये जा सकते है. चूंकि इस समय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. ऐसे में ओमिक्रॉन अथवा कोविड संक्रमण की वजह को सामने रखते हुए स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव को आगे स्थगित नहीं किया जायेगा. यह लगभग स्पष्ट हो गया है.
* यूपी चुनाव के साथ मुंबई मनपा चुनाव करवाना चाहती है शिवसेना
– उत्तर भारतीय वोटों से पार्टी को लग रहा खतरा
बता दें कि, 10 फरवरी से 7 मार्च के दौरान उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव है. ऐसे में शिवसेना चाहती है कि, इसी दौरान मुंबई महानगरपालिका के भी आम चुनाव संपन्न करवाये जाये. क्योेंकि इस दौरान यूपी विधानसभा चुनाव के लिए मुंबई के उत्तर भारतीय मतदाता बडी संख्या में अपने गांव जाते है. ऐसे में पार्टी इन मतदाताओं की अनुपस्थिति का फायदा उठाना चाहती है. ज्ञात रहे कि, मुंबई में 19 फीसद मतदाता गैर मराठी है. जिनमें उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है. मुंबई के पश्चिम उपनगर में जिस पार्टी के 50 नगर सेवक चुनकर आते है, उसी पार्टी का महापौर भी बनता है. उल्लेखनीय यह भी है कि, पश्चिम उपनगर क्षेत्र में उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है. जिन्हें मुख्य तौर पर भाजपा समर्थक माना जाता है. यहीं वजह है कि, यूपी चुनाव के साथ-साथ मुंबई मनपा का चुनाव भी करवाये जाने की मांग शिवसेना के नेता अपने पार्टी नेतृत्व से कर रहे है. यदि ऐसा होता है, तो यूपी चुनाव के घमासान के दौरान ही राज्य में मिनी विधानसभा कहे जाते महानगरपालिकाओें और जिला परिषदों के चुनाव भी संपन्न होंगे.