ग्रामभाषा से जागरूकता पैदा कर गांवों को कोरोना मुक्त बनाए
मुख्यमंत्री ठाकरे ने विदर्भ मराठवाडा के सरपंचों से साधा संवाद
मुंबई/दि.12 – मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने सरपंचों से ग्राम भाषा और पारंपरिक माध्यम से जागरूकता पैदा करके गांवों को कोरोना मुक्त बनाने का आवाहन किया है. उन्होंने कहा कि हर गांव की एक ग्राम भाषा होती है. उसी भाषा और वासुदेव, वाघ्या, मुरली, ताल वाद्य यंत्र दावडी के माध्यम से गांवों में कोरोना प्रतिबंधात्मक जनजागृति की जाए. कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए गांवों में कोरोना प्रतिबंधक उपायों को प्रभावी रूप से लागू किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोनो को गांवों में घुसने न दे. मुख्यमंत्री ने शुकवार को नागपुर, अमरावती और औरंगाबाद विभाग के 19 जिलो के सरपंचों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद साधा. मुख्यमंत्री ने जनसंख्या के अनुसार बस्ती वार टीम तैयार करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि यह टीम अपनी अपनी बस्तियों की जिम्मेदारी संभालते हुए वहां के लोगों के स्वास्थ्य संबंधी सावधानी बरतने के लिए जागरूक करे. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरपंचो ने अपने गांवों को कोरोना मुक्त करने के लिए काफी अच्छा काम किया है. सरपंचों ने कई अभिनव उपक्रम चलाए. वॉट्सअॅप ग्रुप तैयार करके जानकारी आदान प्रदान की जा रही है. इस तरह के उपक्रमों का राज्यभर में उपयोग किया जा सकेगा.
टीकाकरण से कोरोना का खतरा कम हो जाता है
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि कोरोना विरोधी टीका लेने से कोरोना नहीं होता. टीका लेने से कोरोना का खतरा कम हो जाता है. उन्होंने कहा कि कोरोना के टीकाकरण की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार उठा रही है. राज्य को टीका मिलते ही गांवों में उपलब्ध कराया जायेगा. सरपंचोंं का टीकाकरण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने का प्रयास सराहनीय है.
कोरोना मुक्त गांव की स्पर्धा को आंदोलन बनाया जाए-मुश्रीफ
प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि राज्य में कोरोना मुक्त गांव की स्पर्धा को केवल एक प्रतियोगिता तक सीमित न रखते हुए इसे आंदोलन बनाया जाना चाहिए. मुश्रीफ ने कहा कि 14वेें और 15वें वित्त आयोग की निधि से ग्राम पंचायतों को बड़े पैमाने पर कोरोना प्रतिबंधात्मक सुविधा के लिए निधि उपलब्ध कराई गई है.