मराठा समाज को आर्थिक रूप से पिछडे घटक से मिले आरक्षण
औरंगाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका

औरंगाबाद/दि.26 – मराठा समाज को आर्थिक रूप से पिछडे प्रवर्ग से आरक्षण मिलने हेतु शिवसंग्राम संगठन के नेता विनायक मेटे ने गत रोज मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ में ऑनलाईन पध्दति से एक याचिका दायर की. जिसमें कहा गया है कि, ‘एसईबीसी’ अंतर्गत दिया जानेवाला आरक्षण रद्द कर दिये जाने से अब मराठा समाज खुले प्रवर्ग में शामिल हो गया है. ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा 103 वे संविधान संशोधन के तहत खुले संवर्ग के आर्थिक रूप से पिछडे रहनेवाले घटकों को दिये जानेवाले ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ मराठा समाज को भी दिया जाये. इस याचिका के मुताबिक 28 जुलाई 2020 को राज्य सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया था. जिसके मुताबिक एसईबीसी अंतर्गत मराठा समाज के जो लाभार्थी आरक्षण हेतु पात्र है, उनके लिए ईडब्ल्यूएस का आरक्षण लागू नहीं होता. पश्चात 9 सितंबर 2020 को इस आरक्षण को स्थगिती दी गई है और 5 मई 2021 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एसईबीसी अंतर्गत दिये जानेवाले आरक्षण को रद्द कर दिया गया. जिसकी वजह से मराठा समाज अब खुले संवर्ग में आ गया है. अत: खुले संवर्ग के आर्थिक रूप से दुर्बल घटकोें हेतु दिये जानेवाले ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए मराठा समाज को पात्र माना जाना चाहिए.